गत वर्ष तो 37 केंद्र बनाए गए थे, बावजूद इसके केंद्रों पर भीड़भाड़ होने और कई केंद्रों पर हंगामें की स्थिति बनी थी। यही वजह है कि इस बार केंद्रों की संख्या घटने से सहकारिता विभाग, खाद्य आपूर्ति और नागरिक आपूर्ति विभाग के अफसर पेशोपेश में है कि इस बार व्यवस्थाएं कैसे संभलेंगे। ऊपर से सरकार ने अब चना और सरसों की खरीदी के निर्देश भी दे दिए हैं, जिसके लिए किसानों ने पंजीयन भी करा लिया है।
बताया गया है कि गत वर्ष गेहंू खरीदी में शॉर्टेज आने के बाद राज्यस्तर से जिले की 14 सहकारी संस्थाओं को गेहूं खरीदी के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया। यही वजह है कि वर्ष 2019 के लिए जब खरीदी केंद्र बनाने का प्रस्ताव भेजे गए तो महज 22 संस्थाएं ही रह गई, जिनके केंद्र निर्धारित हो गए हैं। हालांकि अफसरों ने इन 14 को भी पुन: केंद्र बनाने का प्रस्ताव भिजवाया हुआ है, लेकिन राज्यस्तर से अभी तक हरी झंडी नहीं मिली है। यही वजह है कि श्योपुर जिले के अफसर खरीदी की तैयारियों में जुटे तो हैं, लेकिन उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं।
तीनों फसलों के हो रहे 33 हजार किसान
बताया गया है कि जिले में गत 14 मार्च तक समर्थन मूल्य पर गेहूं विक्रय के लिए 27 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है, जबकि 4 हजार ने चना और 2 हजार ने सरसों के लिए पंजीयन कराया है। इस तरह लगभग 33 हजार किसान अपनी फसल विक्रय के इंतजार में है। हालांकि गत वर्ष लगभग 16 लाख क्ंिवटल गेहूं की खरीदी जिले में हुई थी, लेकिन इस बार लगभग 23 लाख क्ंिवटल का लक्ष्य मिला है, जबकि चना और सरसों का लक्ष्य अभी नहीं आया है। उल्लेखनीय है कि इस बार अच्छी बारिश के चलते गेहूं का रकबा 80 हजार हेक्टेयर से अधिक है। इसलिए इस बार गेहूं की बंपर आवक की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं।
इन 22 केंद्रों पर होगी खरीदी
जिन सहकारी संस्थाओं को इस बार गेहूं खरीदी केंद्र बनाया गया है, उनमें आवदा, बरगवां, कराहल, बड़ौदा, राड़ेप, फिलोजपुरा, तलावड़ा, पांडोला, ओछापुरा, रघुनाथपुर, विजयपुर, मार्केटिंग विजयपुर, नागदा, सोंईकला, नागरगांवड़ा, बिजरपुर, गोहेड़ा, जावदेश्वर, तलावदा, दांतरदाकला, सोंठवा और गुरुनावदा शामिल हैं।