श्योपुर. चंबल मुख्य नहर में पानी की डिमांड भले ही मप्र के अफसरों ने एक नवंबर से दी हो, लेकिन राजस्थान ने तय समय से तीन दिन पहले ही 29 अक्टूबर को पानी मप्र की सीमा में छोड़ दिया। बिना तैयारी के ही नहर में पानी आ गया तो जलसंसाधन विभाग के हाथ पांव फूल गए और आनन फानन में राजस्थान के अधिकारियों से संपर्क कर पानी की मात्रा कम करवाई गई। यही वजह है कि अब शनिवार को चंबल नहर में 150 क्यूसेक पानी चला। बताया गया है कि मप्र के अफसरों ने चंबल मुख्य नहर में 1 नवंबर को पानी पार्वती एक्वाडेक्ट पर मांगा, जिसके लिए कोटा बैराज से 28 अक्टूबर को पानी छोड़ा जाना था। लेकिन राजस्थान ने अपने हिस्से में सिंचाई के लिए 25 अक्टूबर को ही कोटा बैराज से पानी छोड़ दिया। लिहाजा जलप्रवाह आगे बढ़ते हुए गत 29 अक्टूबर की शाम को पार्वती एक्वाडेक्ट के रास्ते मप्र की सीमा में आ गया। चूंकि मप्र के अफसरों की तैयारी नहीं थी और अचानक तीन दिन पहले ही 500 क्यूसेक पानी आ जाने से विभाग में हलचल मच गई। इसके बाद सक्रिय हुए जलसंसाधन विभाग के अफसरों ने राजस्थान से संपर्क किया और पानी की मात्रा कम करवाई। जिसके बाद शनिवार को चंबल मुख्य नहर में पार्वती एक्वाडेक्ट पर पानी की मात्रा 150 क्यूसेक रह गई। ये पानी अब आगे बढ़ा दिया है।
हमारी डिमांड एक नवंबर से है, लेकिन राजस्थान ने अपने हिस्से में पानी चालू कर दिया था और उसी का सरप्लस पानी आ गया है। अभी हमने कम कर दिया है और 1 नवंबर से हम पूरा पानी लेंगे।