पुलिस पूछताछ में जो बातें निकलकर सामने आई हैं, उसमें रामप्रीत का बड़ा गिरोह था। साथ ही सबसे खास बात यह थी कि वह जिस क्षेत्र में वारदात करने जाता था, वहां के ही लोकल बदमाशों को अपने गिरोह में जोड़ लेता था। रामप्रीत के अपराध का सफर वर्ष 2003 में ग्वालियर से ही शुरू हुआ। उसने अपराधों की शुरुआत तो चोरी की घटनाओं से की , लेकिन बाद में वह धीरे-धीरे बड़ा बदमाश बन गया और सुपारी लेकर लोगों की हत्याएं करने लगा। रामप्रीत पर अभी तक करीब 8 हत्याएं, लूट, हत्या के प्रयास, डकैती जैसे अपराध मिलाकर कुल 56 से अधिक मामले दर्ज हैं। ग्वालियर अकेले शहर में ही रामप्रीत ने 38 वारदातों को अंजाम दिया। इसके अलावा आगरा में 5 अपराध, धौलपुर में 3, औरेया में १ वारदात की। मप्र में कुल 43 से अधिक प्रकरण रामप्रीत के नाम पर है। पुलिस का कहना है कि कई अन्य घटनाएं तो ऐसी हैं, जिनको रामप्रीत ने ही किया लेकिन उन मामलों में पुलिस उसकी शिनाख्त नहीं कर पाई।
इनका रहा सहयोग
३० हजार के इनामी बदमाश रामप्रीत को पकडऩे में देहात थाना प्रभारी सतीश सिंह चौहान, इंदार थाना प्रभारी सुरेश शर्मा, एडीटीम प्रभारी गोपाल चौबे, एएसआई प्रवीण त्रिवेदी, शाकिर अली खान, आरक्षक भूपेन्द्र सिंह, ऊदल सिंह गुर्जर, प्रवीण सेथिया, चन्द्रभान सिंह, आरक्षक उस्मान खान की सराहनीय भूमिका रही।
तीन राज्यों में वांटेड
&आधा सैकड़ा से अधिक गंभीर वारदातों को अंजाम देने वाले इस बदमाश की तलाश तीन राज्यों की पुलिस को थी। हमें पिन-प्वाइंट सूचना मिली और उसे दबोच लिया गया। यह भी आशंका है कि कई ऐसे अपराध होंगे, जिनमें वो चिह्नित ही नहीं हो सका हो।
सुनील कुमार पांडेय, एसपी