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शिवपुरी

बच्चों की खेल सामग्री खरीदने मिले करोड़ों, स्कूलों ने नहीं खरीदी

आखिर कैसे खेलेंगे बच्चे…?महीनों से खातों में पड़ी है राशि

शिवपुरीMar 11, 2020 / 04:29 pm

महेंद्र राजोरे

बच्चों की खेल सामग्री खरीदने मिले करोड़ों, स्कूलों ने नहीं खरीदी

बच्चों की खेल सामग्री खरीदने मिले करोड़ों, स्कूलों ने नहीं खरीदी

शिवपुरी. ‘खेलेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडियाÓ इसी वाक्य को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) ने जिले के दो सैकड़ा से अधिक हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूलों को 2 करोड़ रुपए से अधिक की राशि आवंटित की थी। इससे स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के लिए खेल सामग्री क्रय की जाना थी, लेकिन स्कूल प्रभारियों की लापरवाही के कारण बच्चों के लिए आज तक खेल सामग्री क्रय नहीं की गई। अब हालात यह है कि पूरी राशि लैप्स होने की कगार पर है।
शासकीय हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे खेल गतिविधियों में भाग लें, उनकी खेलों में रूचि बढ़े, इसके लिए प्रत्येक हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल में 25 हजार रुपए की राशि का आवंटन खेल सामग्री क्रय करने के लिए आरएमएसए ने किया है। इस राशि में से पहली किश्त के रूप में 10 हजार रुपए की राशि प्रत्येक स्कूल को सितंबर-अक्टूबर माह में कर दिया गया था। इन स्कूलों को इसी शैक्षणिक सत्र में 10 हजार रुपए की राशि की खेल सामग्री क्रय करनी थी, परंतु हालात यह है कि शहरी क्षेत्र में और शहरी क्षेत्र से सटे स्कूलों में ही खेल सामग्री की खरीदी राशि आवंटन के छह माह बाद तक नहीं की गई है। मार्च अंत तक आवंटित राशि का हिसाब देना है, लेकिन वर्तमान में हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूलों की परीक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में अब सामग्री खरीद पाना भी मुश्किल है, इसलिए यह तय है कि लगभग दो करोड़ की राशि लैप्स हो जाएगी, जो बच्चों में खेल गतिविधियों को विकसित करने के लिए आवंटित की गई थी।
ये सामग्री कर सकते थे क्रय

प्लास्टिक क्रिकेट बैट, लकड़ी क्रिकेट बैट, क्रिकेट स्टम्प सेट, छोटी सॉफ्ट बॉल, टेनिस बॉल, प्लास्टिक बॉल, फुटबॉल, बॉस्केट बॉल, रगवी सॉफ्ट, फ्रिशवी, हुला हूप्स, सौसर कोन, बीन बैग्स, स्टेप हर्डल, 12 फीट पैराशूट, शॉट पुट, डिस्कस, जेबलिन, बॉलीबॉल नेट, थ्रो बॉल सहित कई अन्य खेल सामग्री लिस्ट में शामिल हैं, जिन्हें स्कूल प्रबंधन अपनी जरूरत के मुताबिक क्रय कर सकता है।
15 से 20 स्कूलों ने ही बताई है उपयोगिता

इस संबंध में जब जिम्मेदार एमयू शरीफ से बात की गई तो उनका कहना था, यह बात सही है कि हमने करीब 214 स्कूलों को खेल सामग्री क्रय करने के लिए 10-10 हजार रुपए आवंटित किए थे। इन सभी स्कूलों से हमने उपयोगिता प्रमाण पत्र भी मांगा था, परंतु अभी तक 15 से 20 स्कूलों ने ही यह बताया है कि उन्होंने खेल सामग्री क्रय कर ली है। शेष स्कूलों से अभी तक कोई जानकारी नहीं आई है। खास बात यह है कि इन स्कूलों को यह भी बता दिया गया था कि दिल्ली से आए निर्देशों के क्रम में स्कूलों को क्या-क्या सामग्री क्रय करनी है।
समिति द्वारा खरीदी जानी थी सामग्री

बात नियमों की करें तो यह खेल सामग्री क्रय करने से पहले सामग्री चयन के लिए एक समिति का गठन किया जाना था, जिसमें स्कूल प्राचार्य, एक पीटीआई, खेल में रूचि रखने वाले एक शिक्षक, प्रत्येक कक्षा से खेल में रूचि रखने वाले एक बालक और एक बालिका को प्रतिनिधि को शामिल करना था। अभी तक लगभग किसी भी स्कूल में इस समिती का गठन तक नहीं किया गया है।
अब नहीं खरीदा तो शेष राशि भी होगी लैप्स

जानकारों की मानें तो अगर स्कूल प्रभारी इस बार सामग्री क्रय नहीं कर पाए तो उनसे राशि वापस ले ली जाएगी। इसके अलावा यह भी पूछा जाएगा कि उन्होंने खेल सामग्री क्रय क्यों नहीं की? ऐसे हालातों में शेष 15 हजार रुपए की जो शेष किश्त है वह भी खतरे में पड़ जाएगी और स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे खेल सामग्री के लिए तरसते रह जाएंगे।
यहां भी लैप्स होगी राशि

य ह राशि सिर्फ हाई व हायर सेकेण्डरी सकूलों में ही नहीं, बल्कि प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में भी लैप्स होगी। क्योंकि डीपीसी कार्यालय के माध्यम से प्रत्येक प्रायमरी स्कूल में 5 हजार और अपर प्रायमरी स्कूल में 10 हजार की राशि खेल सामग्री के लिए आवंटित की गई है। ऐसे में इन स्कूलों में भी करोड़ों रुपए का बजट लैप्स होने की आशंका है।
जिन स्कूलों ने सामग्री क्रय करने व उपयोगिता प्रमाण पत्र हमें नहीं भेजा है, उन्हें पत्र जारी कर जवाब मांगा जाएगा कि उन्होंने अभी तक सामग्री क्यों क्रय नहीं की? अभी तक मुझे 15-20 स्कूलों ने ही जानकारी भेजी है।
– एमयू शरीफ, आरएमएसए प्रभारी

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