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शिवपुरी

रोजगार की आस में बस गया दामादपुरा

करैरा में एक ऐसी बस्ती, जहां सभी घरों में रहते हैं दामाद
 

शिवपुरीDec 24, 2017 / 10:56 pm

shyamendra parihar

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शिवपुरी/करैरा. जिले के करैरा नगर मुख्यालय में एक ऐसा भी मौहल्ला है, जिसे दामादपुरा के नाम से जाना जाता है। इस मौहल्ले में दामादों के एक सैकड़ा घर हैं, जहां शादी के बाद दामाद अपना घर छोडक़र पत्नी के घर पर ही निवास करते हैं। अमूमन लड़कियां अपनी ससुराल से कुछ दिनों के लिए मायके जाती हैं, लेकिन यहां कहानी उल्टी है।
नगर के वार्ड 6 में एक ऐसा मौहल्ला है, जिसमें 100 परिवारों में दामाद अपनी ससुराल में निवास कर रहे हैं। दामादों के घर अधिक हो जाने की वजह से इस मौहल्ले का नाम ही दामादपुरा रख दिया गया। नगर पंचायत के चुनाव में भी वोटर से लेकर प्रत्याशी तक इस मौहल्ले को दामादपुरा के नाम से ही पुकारते हैं। मौहल्ले में रहने वाले वयोवृद्ध बाबू खान ने दामादपुरा की नींव रखी। उत्तरप्रदेश के जालाौन जिले में रहने वाले बाबू खान 60 साल पूर्व इस मौहल्ले में अपनी बारात लेकर आए थे। मौहल्ला निवासी कादिर खान की पुत्री खेरन बेगम से उनका निकाह हुआ था। शादी के बाद खेरन बेगम एक बार अपनी ससुराल विदा होकर गईं और जब दूसरी बार अपने मायके आईं तो बाबू खां भी उनके साथ यहीं रुक गए। उनके परिवार में तीसरी पीढ़ी के दामाद भी यहीं रह रहे हैं।
देखते ही देखते यह प्रथा इस मौहल्ले में ऐसी शुरू हुई कि अधिकांश दामाद शादी के बाद अपनी ससुराल में ही रुक कर रह गए। मौहल्ले के 100 परिवारों में शामिल दामाद मप्र सहित उप्र के विभिन्न जिलों के रहने वाले हैं, जो अब यहीं बस गए। वर्तमान में दामादपुरा मोहल्ले में मसूदी परिवार के 25 घर, पठानों के 25, शाह के 15 घर के अलावा अन्य मुस्लिम समाज के परिवार हैं।
रोजगार मिला तो टिक गए दामाद
दूसरे जिलों से शादी करके यहां बसने वाले दामादों को करैरा व उसके आसपास रोजगार के साधन मिल गए, जिसके चलते यहां दामादों का मोहल्ला बस गया। बताते हैं कि दूसरे जिलों में उन लडक़ों के पास कोई रोजगार नहीं था, जिनकी शादी यहां हुई। यहां रहने वाले अधिकांश दामाद गांव-गांव फेरी लगाकर मनिहारी सहित अन्य सामान बेचते हैं। चूंकि यहां रोजगार का साधन आसानी से मिलने के साथ ही परिवार की गुजर-बसर की व्यवस्था होने लगी, इसलिए वे यहीं बस गए।
हां, यह बात सही है कि करैरा नगर के वार्ड क्रमांक 6 में जो मोहल्ला है वह दामादपुरा के नाम से जाना जाता है। इसे यहां बसे करीब 50 साल से अधिक समय हो चुका है।
दासीराम अहिरवार, कांग्रेस नेता
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