बदरवास. शासकीय स्कूलों में पदस्थ शिक्षक नियमित रूप से स्कूल जाएं, इसके लिए पिछले लंबे समय से जिला शिक्षा केंद्र से मोबाइल मॉनीटरिंग की जा रही है, वहीं दूसरी ओर एक ऐसा शिक्षक जो दोनों पैर से दिव्यांग है, बावजूद इसके हर दिन स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ा रहा है। महज 5 हजार रुपए मासिक वेतन मिलने के बाद भी यह शिक्षक नियमित स्कूल जाकर पढ़ा रहा है, जिससे बच्चों का शैक्षणिक स्तर भी बेहतर है।
बदरवास के गुड़ाल डांग में रहने वाले बालसिंह परमार, दोनों पैर से दिव्यांग हैं। वे किसी तरह से घिसटते हुए आगे बढ़ते हैं और अपने घर से उस सडक़ तक आते हैं, जहां से उन्हें यात्री बस मिलती है। बस स्टाफ की मदद से वे उसमें सवार होते हैं और फिर 4 किमी का सफर तय करके स्कूल के पास बस स्टाफ द्वारा उतार दिए जाते हैं। वहां से वे हाथों के सहारे धीरे-धीरे स्कूल पहुंचते हैं। चूंकि वे खड़े होकर चल नहीं पाते, इसलिए बच्चों के बीच में नीचे ही बैठकर उन्हें पढ़ाते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन यह शिक्षक हर दिन स्कूल आते हैं और पूरे समय तक बच्चों को पढ़ाते हैं। नियमित स्कूल खुलने व शिक्षक द्वारा पढ़ाए जाने की वजह से बच्चों का शैक्षणिक स्तर भी अच्छा है।
दिव्यांग शिक्षक बलराम परमार का कहना है कि हमें शासन जिस
काम के लिए पैसा दे रही है तो फिर उसे पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए। उनका मानना है कि शिक्षा ही ऐसा कार्य है, जिसे जितना बांटो, वो और बढ़ता है। महज पांच हजार रुपए मासिक वेतन लेने वाले बलराम को इस बात का भी कोई मलाल नहीं है कि उनका वेतन इतना कम है। हालांकि अभी वे संविदा पर हैं और आगे चलकर वे जब अध्यापक बनेंगे तो उनका वेतन भी बढ़ जाएगा।
प्रेरक है शिक्षक
हम हर दिन मोबाइल मॉनीटरिंग इसलिए करवाते हैं, ताकि शिक्षक स्कूल पहुंचे। पिपरियाखेड़ा के दिव्यांग शिक्षक दूसरे स्वस्थ शिक्षकों के लिए प्रेरक हैं, जो नियमित स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। मैं जब भी उस रूट पर जाऊंगा, तो उनसे मिलने जरूर जाऊंगा।
शिरोमणि दुबे, डीपीसी शिवपुरी
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