विभाग के विश्वसनीय सूत्रों की बात पर यकीन करें तो जिन फर्मों को टेंडर दिए गए हैं वह कई सामग्रियों की सप्लाई के तो सिर्फ बिल उपलब्ध करवाते हैं। इसके एवज में फर्म अपना कमीशन लेती है, खाद्य सामग्री की सहित अन्य सामान की खरीदी स्वास्थ्य संस्थाओं के कर्ताधर्ता खुद करते रहते हैं।
अगर बात प्रसूताओं को दिए जाने वाले भोजन की करें तो यहां भी बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है। उनके भोजन को पेटी कॉन्टेक्ट पर उठाया गया है। यदि इस मामले की गहराई से जांच हो जाए तो करोड़ों रूपए का घोटाला उजागर हो जाएगा। खास बात यह है कि सीएमएचओ कार्यालय द्वारा सामग्री खरीद के लिए फर्म निर्धारित कर दी गई हैं और इसकी जानकारी सीएस सहित विभिन्न बीएमओ को दे दी गई है। अब इन लोगों को इसी फर्म से सामग्री क्रय करनी होती है, जबकि यह फर्में तो खाद्य सामग्री की सप्लाई करती ही नहीं हैं। ऐसे में जिला अस्पताल व अन्य बीएमओ इन फर्मों से सामान कैसे क्रय कर रहे होंगे ? इस बात अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि प्रसूताओं के भोजन में किस तरह से घोटाला किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग में लगाए गए बिलों सहित यश इंटरप्राइजेज व गणेश ट्रेडर्स के खातों सहित लेन देन की जांच की जाए तो इन फर्मों द्वारा लाखों रूपए के टैक्स चोरी का मामला भी उजागर होगा। यह दोनों ही फर्मों द्वारा आयकर के भुगतान में काफी गड़बड़ी की गई हैं।
पिछले सालों के भुगतान भी पेंडिंग
यहां बताना होगा कि पिछले साल भी विभिन्न प्रकार की सामग्री की सप्लाई के बिलों का भुगतान विवाद में आ जाने के कारण पेंडिंग पड़ा हुआ है। इस भुगतान पर टेंडरों में हुए घालमेल के चलते रोक लगा दी गई थी।
डा.एएल शर्मा, सीएमएचओ