पिछोर विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले गरीब किसानों का दर्द समझ नहीं आ रहा कि अब क्या करें पिछोर के ग्राम नगरेला में रहने वाले प्रकाश जाटव, पिछोर में बटाई से खेती करता है। बटाई में यह शर्त होती है कि आधा खर्चा खेत मालिक व आधा बटाईदार देता है।
मजदूरी करके आधी लागत तो लगा दी, लेकिन फसल पकने से पहले ही पानी खत्म हो गया, उत्पादन भी अच्छा नहीं हो सका। लॉकडाउन के चलते कहीं मजदूरी करने नहीं जा पाएं। लॉकडाउन खुलने पर मजदूरी करके अपना कर्जा चुकाएंगे। बच्चों को कैसे पढ़ा पाएंगे, क्योंकि फीस भरना व किताबें कैसे लेंगे। सरकार से सिर्फ गैस सिलेंडर के पैसे मिले हैं, इसके अलावा कोई राहत नहीं है।
खेत मालिक ने दी राहत पिछोर निवासी मोहन जाटव ने बताया कि हम 6-7 साल से बटाई पर खेती कर रहे हैं। इस बार गेहूं किए थे लेकिन पानी के बिना उत्पादन अच्छा नहीं हुआ। गेहूं का उत्पादन सिर्फ खाने लायक ही मिल पाएगा।
खेत मालिक ने कहा है कि तुम अपने खाने के लिए गेहूं ले जाओ, हम लागत अगली बार ले लेंगे। राशन की दुकान का कार्ड माँ के नाम है, कभी वो ले लेती हैं, कभी हम ले लेते हैं। सरकार से कोई मदद नहीं मिली।
5 क्विंटल गेहूं से कर्जा चुकाएं या घर चलाएं पिछोर निवासी मुन्ना जाटव ने बताया कि बटाई से खेती कर रहे थे, ढाई बीघा में करते हैं और उसका आधा उत्पादन मिलता है। आधे में 10 क्विंटल गेहूं मिल गया।
जिसमें से 5 क्विंटल गेहूं को बेचने से मिलने वाली राशि से फसल में लगाई लागत का कर्जा चुकाना पड़ेगा। शेष बचे 5 क्विंटल गेहूं से परिवार को खिलाएं या फिर बाजार में बेचें। फसल में हमारी लागत, खेत मालिक लगा देता है और बाद में उसी को कर्जा देते हैं।
सब्जी बोई थी, लेकिन कुएं में पानी खत्म हो गया तो वो भी बेकार हो गई। बहुत मजबूरी है, एक बेटे की पढ़ाई छुड़वा दी और एक बेटी शादी के लिए घर बैठी है, समझ में नहंी आ रहा कि क्या करें..?।
बदरवास के छोटे किसान भी परेशान ग्राम तिलातिली में रहने वाले हरीराम जाटव ने बताया कि लॉकडाउन में आवागमन बंद हो जाने से फसल को सस्ते दामों में बेचना पड़ा। फसल का भाव नहीं मिल रहा तथा कर्जे वाले आए दिन चढ़ाई कर रहे हैं।
अब तो सस्ते दामों में फसल बेचकर पहले कर्जा चुकाएंगे। कर्जा साहूकारों से व बैंक से लेते हैं और उसे चुकाने के लिए केवल फसल ही सहारा है।