गोदाम में छिपाकर रखी गई कुरैठा की छाल बोरों में भरी थी। टीम ने एक-एक कर जब छाल की बोरियां निकलवाईं तो लगभग 50 क्विंटल छाल जब्त की गई। छाल से भरी बोरियों को ट्रैक्टर-ट्रॉलियां में भरवाकर उसे वन विभाग ने अपनी जब्ती में ले लिया। वन विभाग ने जड़ी-बूटी कारोबारी के खिलाफ जैव विविधता अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है। जड़ी-बूटी कारोबारी राजेंद्र गोयल की फर्म सोनू गोयल के नाम से है। वन विभाग ने जो प्रकरण बनाया है उसमें दोषी पाए जाने पर 5 लाख का जुर्माना और 3 साल की सजा का प्रावधान है।
वन टीम को कार्रवाई करने से रोकने पर कोतवाली पुलिस ने डिप्टी रेंजर आशीष समाधियाकी रिपोर्ट पर आरोपी सोनू, रवि, नीतेश व राजेंद्र गोयल के विरुद्ध धारा 353, 506, 294 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
कुरैठा की छाल जंगल में पाई जाती है तथा इसका उपयोग आयुर्वेदिक सीरप बनाने में होता है। दस्त व पेचिश में दिया जाने वाला सीरप इसी छाल से बनता है। इस छाल को संग्रहित करना गैर कानूनी है तथा जड़ी-बूटी कारोबारी ने किसी दूसरे से मिलकर अपने गोदाम में अवैध रूप से उसका संग्रहण किया था।
छापामार कार्रवाई करने वाली वन विभाग की टीम ने बताया कि जब हम गोदाम पर छाल की तलाशी के लिए आए तो इस दौरान दो-तीन जनप्रतिनिधियों के फोन भी आए थे। हालांकि, फोरेस्ट टीम ने यह नहीं बताया कि फोन करने वाले नेता किस हैसियत और स्तर के थे, लेकिन शायद वे अधिक पॉवरफुल नहीं थे, अन्यथा कार्यवाही इतनी आसानी से नहीं हो पाती।