ज्ञात रहे कि शिवपुरी जिले मे जब राजस्व विभाग ने जमीनों को कंप्यूटराइज्ड किया, तो ऑपरेटरों ने बिना यह देखे कि जमीन निजी है या शासकीय, सभी की जमीनों को रिकॉर्ड में शासकीय दर्ज कर दिया। शिवपुरी सहित पोहरी एवं पिछोर में सैकड़ों किसानों की जमीन राजस्व रिकॉर्ड में शासकीय दर्ज हो जाने से किसान परेशान होकर भटकते रहे। कुछ जगह तो जमीनों में सुधार कर लिया गया, लेकिन पिछोर के ग्राम दबियाजगन में रहने वाले श्रीकांत पाठक की भूमि सर्वे नंबर 1322, 1324, 1327, 1546, 1547, 1551, 851, 856, 859, 1319 व 1320 को रिकॉर्ड में शासकीय दर्ज कर दिया है। जिसके चलते वह न तो अपनी फसल को खरीदी केंद्रों पर बेच पा रहे हैं और न ही उन्हें शासन की योजना का लाभ मिल पा रहा है।
5 साल पूर्व दिए आदेश पर भी नहीं हुआ अमल रिकॉर्ड में अपनी जमीन को अपने नाम करवाने के लिए कृषक ने तहसीलदार न्यायालय में प्रकरण लगाया तो 21 जुलाई 2015 को तत्कालीन तहसीलदार बीपी श्रीवास्तव ने आदेश जारी किया था कि रिकॉर्ड में जमीन को कृषक के नाम से दर्ज की जाए। इस आदेश को हुए भी पांच साल गुजर गए, लेकिन अभी तक कृषक की जमीन को उसके नाम दर्ज नहीं की गई है।
यहां पर कर चुका है शिकायत परेशान कृषक ने 26 फरवरी 2018 व 15 अप्रैल 2018 को सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके अलावा 11 सितंबर व 20 सितंबर 2019 को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में पीजी लगाई। इसके अलावा 24 दिसंबर 2019 को कृषक ने पीएमओ ऑफिस में फिर पीजी लगाई, जिसका रजिस्टे्रशन नंबर पीएमओपीजी/ई/2019/0724350 है, में दर्ज कराई। लेकिन हर बार शिकायत का नंबर तो किसान को मिला, लेकिन उसकी शासकीय की गई भूमि को उसके पक्ष में रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की गई।
चली गई साढ़े 4 बीघा जमीन चूंकि कृषक के स्वामित्व की जमीन रिकॉर्ड में शासकीय दर्ज हो चुकी है, इसलिए उसकी जमीन के पास से निकाली गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क एवं बनाए गए एक डैम में कृषक की साढ़े चार बीघा जमीन को शासकीय मानकर उपयोग में ले लिया गया। चूंकि रिकॉर्ड में उक्त जमीन शासकीय दर्ज है, इसलिए किसान को उसकी जमीन का मुआवजा भी नहीं दिया गया। यानि उक्त कृषक की जमीन को शासकीय मानकर सरकार ने अपने कार्यों में उपयोग कर लिया तथा उसे मुआवजे के नाम पर एक धेला नहीं दिया गया।
अब सरकार न बांट दे पट्टे कृषक की साढ़े चार बीघा जमीन पहले ही सरकारी कार्यों में ले ली गई तथा उसका मुआवजा भी नहीं दिया गया। चूंकि अभी भी रिकॉर्ड में कृषक की जमीन शासकीय दर्ज है, इसलिए उसे अब यह डर सता रहा है कि कहीं उसकी जमीन को शासकीय मानते हुए सरकार उसे पट्टे में न बांट दे। यही वजह है कि वो मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक अपनी गुहार लगा चुका है, लेकिन उसकी सुनवाई कहीं नहीं हुई।
दिखवा लेते हैं मामला राजस्व रिकॉर्ड में निजी भूमि को शासकीय कैसे और किसने कर दिया, इसकी कोई शिकायत या जानकारी मेरे पास नहीं है। यदि ऐसा हुआ है तो हम यह मामला दिखवा लेते हैं और जहां भी त्रुटि हुई है, उसे सुधरवाया जााएगा।
अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर शिवपुरी