पुरानी शिवपुरी निवासी राजेंद्र जैन (रिंकू) को अपना अपने मकान का नामांतरण करवाना था, जिसके एवज में पटवारी अभिनव चतुर्वेदी 40 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की थी। राजेंद्र ने लोकायुक्त पुलिस से संपर्क करके 13 जनवरी को पूरा मामला बताया। बातचीत के मुताबिक मंगलवार की सुबह लगभग 11.45 बजे जैसे ही राजेंद्र ने पटवारी अभिनव को रिश्वत के नोट दिए तो आसपास मौजूद लोकायुक्त की टीम ने इशारा पाते ही उसे दबोच लिया। पटवारी ने रिश्वत के नोट अपनी जेब में डाल लिए थे और जब लोकायुक्त टीम में आए लोकायुक्त टीआई कविंद्र सिंह चौहान, आराधना डेविस सहित उनकी टीम ने पटवारी के हाथ व पेंट की जेब धुलवाई तो वो लाल हो गई। लोकायुक्त द्वारा पकड़े जाने के बाद भी पटवारी टीम को जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से बात कराने की बात कहते हुए अपना रुतबा दिखाता रहा, हालांंकि उसके इस रुआब का टीम पर कोई असर नहीं हुआ।
तहसील में कर्मचारी ने फाड़े कागज
लोकायुक्त की टीम पटवारी के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद उक्त प्रकरण से संबंधित दस्तावेज लेने तहसील कार्यालय पहुंची। टीम के साथ गए फरियादी रिंकू ने बताया कि तहसील कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी साहिर खान ने टीम को देखते ही उसके नामांतरण संबंधी दस्तावेज फाड़ दिए। टीम ने उक्त फटे हुए कागजों को भी जांच की जद में ले लिया। इस दौरान लोकायुक्त टीम तहसीलदार नरेश गुप्ता को बुलाती रही, लेकिन वे तहसील कर्यालय नहीं आए।
शिवपुरी तहसील में नामांतरण के मामलों को जान बूझकर लटकाया जाता है। शिवपुरी तहसीलदार बनकर आए नरेश गुप्ता ने पूर्व के लंबित लगभग 4 सैकड़ा नामांतरण की फाइल निरस्त कर दीं। बताते हैं कि इनमें से अधिकांश मामलों में पक्षकार स्वयं ही या फिर लोकसेवा केंद्र के माध्यम से आवेदन किया था, इसलिए उसमें कुछ लेनदेन हो नहीं सकता था। तहसीलदार उन मामलों को ही निराकृत कर रहे थे, जो पटवारी के माध्यम से आ रहे हैं। पटवारी किस तरह नामांतरण करवा रहे है,ं यह आज लोकायुक्त के चंगुल में फंसे पटवारी अभिनव चतुर्वेदी के मामले को देखकर समझा जा सकता है।
शिवपुरी एसडीएम गणेश जायसवाल इससे पहले कोलारस में पदस्थ थे और जब उन्हें शिवपुरी एसडीएम बनाया तो वे कथित तौर पर अपने साथ पटवारी अभिनव चतुर्वेदी को भी साथ लेकर आए। इतना ही नहीं पटवारी को शिवपुरी शहर का न केवल पटवारी हल्का दिया गया, बल्कि पिछले दिनों में कई भू-माफिया के चल रहे कामों को रुकवाने के बाद उक्त पटवारी के माध्यम से समझौता शुल्क वसूल करके उन्हें फिर से काम करने की परमीशन दी गई। बताते हैं कि पटवारी अभिनव को वरिष्ठ अधिकारियों की ऐसी शह थी कि वो पकड़े जाने के बाद भी वरिष्ठ अधिकारियों से बात करवाने की बात कहता रहा।
हां, मैंने कुछ नामांतरण प्रकरण निरस्त किए हैं, जिनमें दस्तावेजों की कमी थी, लेकिन जितने आप बता रहे हैं, उतने नहीं किए। लोकायुक्त की टीम तहसील कार्यालय में आई थी और मेरे पास फोन भी आया था, लेकिन मैं एक कार्रवाई में बाहर निकल आया हूं। साहिर खान तहसील कर्मचारी है, कागज फाडऩे की बात मेरे संज्ञान में नहीं है।
नरेश गुप्ता, तहसीलदार शिवपुरी