गांव में एक भी हैंडपंप नहीं
बदरवास से 33 किमी दूर स्थित कोटरा-कोटरी गांव में रहने वाले परिवारों को पानी उपलब्ध कराने के लिए अभी तक एक भी हैंडपंप नहीं लगाया गया। गांव के नजदीक से कूनो नदी निकली है, इसलिए गांव की महिलाएं नदी से ही पीने व अन्य कामकाज के लिए पानी भरकर लाती हैं। लेकिन इस बार अल्पवर्षा के चलते नदी में पानी नहीं है, इसलिए अब महिलाएं व बच्चे सूखी नदी में नमीयुक्त मिट्टी को खोदकर गड्ढा बनाते हैं तथा उसमें रिसकर आने वाले पानी से काम चला रहे हैं। इस तरह के गड्ढे सूखी नदी में कई जगह बने हुए हैं।
बिजली नहीं देखी गांव में
कोटरा-कोटरी गांव में आजादी के बाद से अभी तक बिजली नहीं आ सकी है। गांव तक बिजली के लिए न तो खंबे लगे और न ही आगे लगते नजर आ रहे हैं। क्योंकि इस गांव में विकास के नाम पर कोई प्रस्ताव ही पंचायत स्तर पर तैयार नहीं किया गया। अब इस गांव के लोगों ने गांव की तरह ही अपने जीवन को भी अंधकार में ही मान लिया है।
कोटरा-कोटरी गांव में आजादी के बाद से अभी तक बिजली नहीं आ सकी है। गांव तक बिजली के लिए न तो खंबे लगे और न ही आगे लगते नजर आ रहे हैं। क्योंकि इस गांव में विकास के नाम पर कोई प्रस्ताव ही पंचायत स्तर पर तैयार नहीं किया गया। अब इस गांव के लोगों ने गांव की तरह ही अपने जीवन को भी अंधकार में ही मान लिया है।
नहीं है कोई शिक्षित
इस गांव में कोई भी बच्चा शिक्षित नहीं है, क्योंकि गांव में कोई सरकारी स्कूल नहीं है। जो शासकीय स्कूल मुढ़ेरी में है, उसकी दूरी गांव से 10 किमी है। ऐसे में गांव के बच्चे न तो कभी उस स्कूल में पढऩे गए और न ही जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारियों ने इस गांव में शिक्षा की तरफ कोई कदम बढ़ाया। यही वजह है कि इस गांव में कोई भी शिक्षित नहीं है।
हमारे यहां कोई नहीं आया
गांव में रहने वाले रमेश भील ने बताया कि अभी तक गांव में कोई नेता नहीं आया, तो हम अपनी बात किससे कहें। उसने कहा कि चुनाव के समय जो नेता आते हैं, वो मुढ़ेरी तक ही आकर चले जाते हैं। इतनी दूर रहते हुए हम उन्हें अपनी समस्या कैसे बता पाएंगे। जब वोट डालने जाते हैं तो नेता हमें आश्वासन देते हैं, लेकिन बाद में कोई नहीं आता।
इस गांव के बारे में आपके माध्यम से ही मुझे यह जानकारी मिल रही है। चूंकि मुझे भी अभी यहां आए हुए अधिक समय नहीं हुआ। बिजली व शिक्षा से संबंधित समस्या के लिए मैं संबंधित विभागों को पत्र लिखूूंगा, तथा गांव में और भी क्या कर सकते हैं, वो मैं देखकर पता करवाता हूं।
महेंद्र जैन, सीईओ जनपद पंचायत बदरवास
महेंद्र जैन, सीईओ जनपद पंचायत बदरवास