शिवपुरी. जिस घर में भगवत पूजा नहीं होती उस घर को श्मशान के समान कहा गया है। यह बात गांधी पार्क में आयोजित संगीतमय श्रीरामकथा के पांचवें दिन साध्वी डॉ. विश्वेश्वरी देवी ने श्रीराम कथा का वाचन करते हुए कही। साध्वी ने कहा कि आजकल तो अधिकांश जगहों पर देखा जाता है कि घर में पूजा का कार्य महिलाओं के सौंप दिया गया है जैसे मंदिरों पर जाना, पूजा करना। कई लोगों को कहते देखा जाता है कि धर्म का कार्य उनकी धर्म पत्नी करती है, हमारे पास समय नहीं है। कभी कहते हैं कि पत्नी बहुत धर्म करती है उसी में से आधा हमें मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है। साध्वी ने कहा कि भोजन तुम अलग-अलग करो जब धर्म की बारी आई तो कहते हो कि पत्नी के में से आधा मिल जाएगा, ऐसे कैसे संभव है? आजकल लोग
मंदिर जाते हैं जल्दी-जल्दी पुष्प चढ़ाया, अगरबत्ती चलाई और चल दिए, लेकिन ऐसी पूजा में भावना, मन का अभाव रहता है। ऐसी पूजा का कोई मतलब नहीं निकलता। ऐसी पूजा के लिए तो आजकल बाजार में
यंत्र आ गए हैं जो राम-राम, कृष्णा-कृष्णा जैसे मंत्रों के उच्चारण करते रहते हैं। हमारे जाप में प्रेम नहीं है, विश्वास नहीं है तो क्रिया करने से कोई फायदा नहीं है।
दण्डवत प्रणाम से शरीर को बल एवं
शक्ति की होती है प्राप्ति
शिवपुरी. शरीर की प्रोब्लम सबके के साथ है। चाहे वह छोटी हो या बड़ी इसलिए हमें घर के बड़े एवं बुजुर्गों को पूरा लेटकर दण्डवत प्रणाम करना चाहिए। यदि घर में 10 लोग बड़े होंगे और उन्हें 10 बार दण्डवत प्रणाम करोगे तो एक्सराइज हो जाएगी जिससे आपका शरीर स्वस्थ्य रहेगा, शक्ति मिलेगी। इसलिए महात्माओं ने जो कहा है वह ऐसे ही नहीं कहा। आजकल तो प्रणाम के नाम पर क्या होता है घुटनों तक ही पहुंचना मुश्किल होता है जिससे
काम चलने वाला नहीं है। उक्त बात गांधी पार्क में आयोजित संगीतमय श्रीरामकथा के चौथे दिन साध्वी डॉ विश्वेश्वरी देवी द्वारा श्रीराम कथा का वाचन करते हुए कही।
साध्वी ने कहा कि पहले लोग बड़ा कष्ट या विपत्ति आने पर हाय करते थे आज तो हाय-हाय करते ही रहते हैं जबकि ग्रंथों में जहां बड़ी पीड़ा की उल्लेख आता है। केवल वहीं पर हाय लिखा मिलता है। इसलिए सुबह-सुबह प्रणाम से ही दिन की शुरूआत करो। भगवान रामजी से गुरू सेवा सीखोए भगवान भी तो गुरू के चरण दबाते थे जब भगवान सेवा करते थे तो आपको भी करनी चाहिए। रामजी को मानने वाले अधिकतर सभी लोग हैं, लेकिन रामजी को मानने वाले बहुत कम है। भगवान जी के आचरण को अपने जीवन में उतारो जिससे आपका जीवन सुधर जाएगा। भगवान रामजी के चरणों की सेवा करने का अवसर केवल दो लोगों को मिला। एक थे लक्ष्मण जी और दूसरे श्री
हनुमान जी महाराज। लक्ष्मण जी ने बचपन से ही भगवान रामजी की सेवा प्रारंभ कर दी थी। साध्वी जी ने बताया कि एक दिन की बात है जब सुमित्रा मैया लक्ष्मण जी को पालने में सुलाती हैं तो लक्ष्मण जी जोर जोर से रोने लगते हैं और वह बहुत समय तक रोना बंद नहीं करते हैं तो सुमित्रा मैया उन्हें उठाकर रामजी के पालने में एक ही तरफ को सुला देती हैं और लक्ष्मण जी शांत हो जाते हैं। लेकिन लक्ष्मण जी खिसक.खिसक रामजी के पैरों तक पहुंच जाते हैं और दायिने पैर की अंगुली को मुंह में लेकर रामजी की चरण सेवा करने लगे। वहीं दूसरे हनुमान जी हैं जब से वह रामजी से मिले उन्होंने भगवान की चरण सेवा शुरू हो गई थी। हनुमानजी की सेवा निरंतर जारी रही चाहे परिस्थितियां अनुकूल हो या विपरीत। हमें हनुमान जी के जीवन से सेवा करना सीखना चाहिए, सेवा हो तो हनुमान जी की जैसे हो।
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