शिवपुरी. आजादी के कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर जो मीठे फल खा रहे हैं या खा चुके, उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि इस कल्पवृक्ष को पानी से नहीं शहीदों व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के खून से सींचा है। देश में वर्तमान हालातों को देखकर अंग्रेजों के डंडों का दर्द अब महसूस हो रहा है, क्योंकि आजादी के बाद तो भारत माता की जय कहने के साथ ही वो दर्द खत्म हो गया था, जो अब फिर उभरने लगा है। यह कहना है शिवपुरी के 92 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रेमनारायण नागर का।
श्री नागर का कहना है कि देश में वर्तमान हालात ठीक नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अधिक बहुमत मिला और
काम करने के लिए अच्छा समय भी। लेकिन वे एक साथ दो काम करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसमें पहला विपक्ष को खत्म करना तथा दूसरा विकास, जो गलत है। क्योंकि किसी भी लोकतांत्रिक देश में मजबूत विपक्ष का होना बहुत जरूरी है। अन्यथा देश में इतनी अस्थिरता हो जाएगी कि प्रजातंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
स्वतंत्रता संग्राम सैनानी नागर का कहना है कि अब शैक्षणिक पाठ्यक्रम में से आजादी में अहम भूमिका निभाने वालों को हटाकर उसका स्वरूप बदल कर बच्चों को पढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तो महात्मा गांधी को पक्का बनिया तक कह चुके हैं। नागर का कहना है कि आजादी के बाद से हर चुनाव को मैंने फ्रीडम फाइटर व पत्रकार के नाते नजदीक से देखा है। अब यह चुनाव प्रक्रिया दोषपूर्ण हो गई है, जिसमें सुधार की बेहद जरूरत है। अब राजनीति में पैसा, दबंगई व जातिवाद उभर कर आ गया है। जैसे निर्वाचन आयोग ने नियम बना दिया है कि एमएलए (विधायक) के चुनाव में 28 लाख रुपए तक खर्च करने का नियम बना दिया है। अब कोई भी इतनी पूंजी घर से लगाकर क्या सेवा करने के लिए विधानसभा में जाएगा..?।
यह दिए चुनाव प्रक्रिया में सुधार के सुझाव
हर व्यक्ति के लिए मतदान आवश्यक किया जाए तथा चुनाव परिणाम पोलिंगवाइज नहीं दिया जाना चाहिए।
चुनाव के समय जिला निर्वाचन अधिकारी दूसरे प्रांत के आईएएस को बनाया जाए, ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
शासकीय अधिकारी या कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद दो साल तक चुनाव लडऩे की पात्रता न दी जाए।
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