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शिवपुरी

रेस्क्यू टीम ने खतरा उठाकर निभाया फर्ज

बार-बार कॉल करने के बाद भी नहीं आया दूसरा वाहन तो टीम ने उठाया खतरा
नहीं खुला वाहन का गेट तो चालक के पास वाली सीट पर ले गए

शिवपुरीOct 10, 2021 / 10:55 pm

rishi jaiswal

रेस्क्यू टीम ने खतरा उठाकर निभाया फर्ज

रेस्क्यू टीम ने खतरा उठाकर निभाया फर्ज


शिवपुरी. शहर में जब भी कहीं मगरमच्छ या सांप निकलता है तो हर किसी को माधव नेशनल पार्क की रेसक्यू टीम की याद आती है, लेकिन यह टीम खुद ही किस तरह से काम कर पा रही है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण शनिवार की रात को सामने आया। हुआ यूं कि सिटी सेंटर कॉलोनी के नाले में लगभग 9 फीट लंबा मगरमच्छ निकल आया, जिसे रेसक्यू टीम ने बमुश्किल पकड़ तो लिया, लेकिन रेसक्यू वाहन का गेट न खुल पाने की वजह से आधा घंटे तक यूं ही मगरमच्छ बंधा पड़ा रहा। जब दूसरे वाहन की व्यवस्था नहीं हुई तो मजबूरी में ड्राइवर की सीट के पास ही रखकर ले जाना पडा, जिसके चलते वाहन चाालक सहित पूरे स्टाफ की जान को खतरा बना रहा। महत्वपूर्ण बात यह है कि नेशनल पार्क प्रबंधन में दो ही सक्रिय कर्मचारी हैं, जो जिले भर में सांप-मगरमच्छ पकड़ते फिरते हैं, लेकिन वे अभी तक परमानेंट नहीं हो सके। प्रबंधन की बदहाली पर कुछ भी कहने से रेसक्यू प्रभारी बचते नजर आए।
रात 9.30 बजे पहुंची रेस्क्यू टीम, 10.45 पर पकड़ा
एसपी कोठी के पीछे सिटी सेंटर कॉलोनी के पास से निकले नाले में शनिवार की शाम को एक विशालकाय मगरमच्छ नजर आया। कॉलोनी में नाले किनारे रहने वाले लोगों ने जब अपने घर के पीछे मगरमच्छ को घूमते देखा तो उन्होंने रात में ही माधव नेशनल पार्क प्रबंधन को सूचना दी। हालांकि रात में नाले के अंदर मगरमच्छ पकडऩा खतरनाक रहता है, लेकिन कॉलोनी में रहने वाले रिटायर्ड पार्क कर्मचारी के बुलाने पर यह टीम रेसक्यू वाहन लेकर रात 9.30 बजे पहुंची। टीम के सदस्य दाताराम आर्य व नरेंद्र झा ने मौके पर देखा तो मगरमच्छ नाले के दूसरी तरफ से बनाई गई बाउंड्री के किनारे सूखी जमीन पर बैठा हुआ था। टॉर्च की रोशनी में रेसक्यू टीम ने जैसे ही फंदा मगरमच्छ के मुंह की तरफ फेंका तो मगरमच्छ वापस नाले में कूद गया। अपनी जलती-बुझी टॉर्च के सहारे यह टीम मगरमच्छ को देखते हुए उसके साथ ही आगे बढ़ती रही। यह कवायद रात 10.45 बजे तब रंग लाई, जब रेसक्यू टीम ने मगरमच्छ के मुंह में फंदा फंसाकर उसकी आंखों पर कपड़ा डाल दिया। रस्सियों से बांधकर मगरमच्छ को लेकर कॉलोनी के रास्ते पर रख दिया, क्योंकि रेसक्यू वाहन के पीछे का गेट खुल नहीं रहा था।
आधा घंटे तक किया इंतजार, फिर उठाया खतरा
चूंकि मगरमच्छ पकड़े जाने के बाद कुछ देर तक तो वो शांत रहता है, लेकिन उसके बाद वो फिर रीचार्ज होकर उतनी ही ताकत से फिर खड़ा हो जाता है। वाहन का गेट खोलने की कवायद लगभग 20 मिनिट तक चलती रही, लेकिन जब गेट नहीं खुला तो फिर रेसक्यू टीम के प्रभारी को मोबाइल पर पूरी स्थिति बताते हुए दूसरा वाहन भेजने की बात कही। लेकिन जब कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तथा काफी देर तक दूसरा वाहन नहीं आया। इसके बाद टीम के सदस्यों ने तय किया कि अपनी जान जोखिम में डालकर मगरमच्छ को ड्राइवर के पास वाली सीट पर आगे गोद में लेकर बैठेंगे। चूंकि वाहन के पीछे का गेट दो हिस्सों में खुलने के साथ ही चौड़ा होता है, लेकिन आगे वाली सीट की जगह कम होने की वजह से वजनदार मगरमच्छ को बमुश्किल गाड़ी में चढ़ाया। फिर ड्राइवर सहित रेसक्यू टीम अपनी जान जोखिम में डालकर मगरमच्छ को गोद में लेकर गई।
सभी वाहनों में कुछ न कुछ खराब
रेसक्यू के लिए पार्क में चार-पांच वाहन हैं, लेकिन उनमें ड्राइवर मैं अकेला ही हूं। सभी वाहनों में कोई न कोई खराबी है और मैं कई बार लिखकर भी दे चुका हूं, लेकिन कुछ नहीं हो रहा। मजबूरी में मगरमच्छ को आगे वाली सीट पर रखकर ले जाएंगे।
रमेश शाक्य, रेसक्यू वाहन ड्राइवर
रेसक्यू प्रभारी ने ऐसे झाड़ा पल्ला
इस संबंध में जब माधव नेशनल पार्क के रेसक्यू प्रभारी एवं वन्यजीव चिकित्सक डॉ. जितेंद्र जाटव से पूछा तो उन्होंने कुछ भी जवाब देने की बजाय यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मैं अब कुछ भी नहीं हूं, जो भी पूछना है सीसीएफ साहब से पूछो।

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