पत्थर की मजबूत चट्टानों को परत दर परत तोडक़र जब निकाला जा रहा है, तो नीचे से कमजोर पत्थर आने के साथ ही उसमें जल भराव के लिए गड्ढे भी हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पत्थर की चट्टानों में से बोल्डर निकालने के लिए उनमें ब्लास्टिंग तक की जा रही है। इस ब्लास्टिंग से जमीन के अंदर तक के पत्थर हिल रहे हैं, वहीं पुल के पिलर भी कमजोर होते जा रहे हंै। इसके अलावा चितारा घाट से रेंजा घाट तक 20 किमी एरिया में हर दिन लगभग 200 ट्र्रैक्टर ट्रॉलियां रेत की भरी जा रही हैं।
अभी तक पत्थर.बोल्डर का उत्खनन पुल से दूर किया जा रहा था, लेकिन अब खनन माफिया पिलर से लगकर ही यह खनन कर रहे है। यदि इसी तरह से ब्लास्टिंग होती रही तो पिलर का स्थायित्व हिल सकता है तथा उसका आधार कमजोर होने से पिलर भी जल्दी हिल जाएंगे। सबसे अधिक खतरा उस समय रहेगा, जब बरसात के दिनों में पानी का तेज बहाव पिलर को प्रभावित कर सकता है।
आशीष तिवारी, एसडीएम कोलारस