पत्रिका की टीम को उक्त क्षेत्र में छह हिरण, एक नील गाय और कई लंगूर आदि वन्य प्राणी मरे हुए मिले। इनमें कुछ की लाश तो पूरी तरह से सूख चुकी थी तो कुछ की लाश में सड़ांध आ रही थी, कुछ एक दो दिन पहले ही मरे हुए प्रतीत हो रहे थे। इस स्थिती को देख कर यह तो स्पष्ट हो गया कि सभी जानवर अलग अलग समय पर मरे हैं। सभी की लाश सूखे पड़े पानी वाले क्षेत्र में पड़ी मिलीं, जिससे प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो रहा है कि उक्त वन्य प्राणी पानी पीने के लिए यहां आए होंगे लेकिन पानी न मिलने के कारण प्यास से तड़प तड़प कर उन्होंने दम तोड़ दिया होगा। हालातों को देख कर यह भी स्पष्ट हो रहा था कि यहां पिछले कई दिनों से न तो वीट गार्ड ने चक्कर लगाया है और न ही कोई अन्य वन्यकर्मी ड्यूटी पर इस क्षेत्र में आया है।
चोरी छिपे हो रही हरे पेड़ों की कटाई पत्रिका की टीम को इस दौरान जंगल में कई स्थानों पर हरे कटे हुए पेड़ों के ठूठ भी नजर आए, जिससे यह स्पष्ट हो रहा था कि यहां पर अवैध रूप से जंगल की कटाई चल रही है, परंतु जिम्मेदारों को इस बात की भनक तक नहीं है।
सुरवाया क्षेत्र में हमारी पूरी टीम घूमी थी, परंतु उन्हें कोई वन्य प्राणी नहीं मिले। यह बात सही है कि जंगल में ताल तलैया सूख गए हैं लेकिन हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि वन्य प्राणियों की मौत भूख प्यास से हुई है।
बीएस यादव, असिस्टेंट डायरेक्टर