दरअसल गिलौला विकास खण्ड के दंदौली गांव के मजरा सौरैय्या में एक घोड़ा ग्लैंडर वायरस के संक्रामण से प्रभावित पाया गया। जिसे जिलाधिकारी के आदेश पर चिकित्सक व प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा गांव से बाहर ले जाकर जहर का इंजेक्सन लगाकर मार डाला गया। इसके बाद मृत घोड़े को मिट्टी के नीचे गहरा गड्ढा खोदकर दबा दिया गया है। बता दें जिले में इस संक्रमण को खोजने के लिए पशु पालन विभाग द्वारा इक्कीस घोड़ों का ब्लड सैंपल लिया गया था।
मनुष्यों के लिए भी जानलेवा है यह बीमारी
ग्लैंडर वायरस की बीमारी ग्लैंडर बरखेलडेरिया मेलिआई जीवाणु जनित रोग है। यह बीमारी घोड़ों के बाद संक्रमण से मनुष्यों, स्तनधारी पशुओं में पहुंचती है। यह नोटिफाईएबल है। जिसे जेनोटिक रोगों की श्रेणी में रखा गया है। इस बीमारी का संक्रमण नाक, मुंह के म्यूकोसल सरफेस एवं सांस से होता है। मैलिन नाम के टेस्ट से इस बीमारी को कंफर्म किया जाता है।
इस बीमारी के ये हैं लक्षण वहीं इस संबंध में पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जे0आई0 सिंह बताते हैं कि ग्लैंडर वायरस का संक्रमण होने पर घोड़े, खच्चर व गधों के शरीर की गांठों में इंफेक्शन एवं पस बन जाता है। जानवर उठ नहीं पाता है। शरीर में सूजन आ जाती है। इस बीमारी से पीड़ित होने पर मौत निश्चित है। यह संक्रमण संक्रमित पशु के पास के पशुओं में सौ प्रतिशत छह से दस किलोमीटर के दायरे में फैल सकता है। जबकि मनुष्यों में यह संक्रमण होने के बाद मानव के मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, शरीर में अकड़न, तेज सिरदर्द व नाक से पानी बहने लगता है।