जहां पर अन्य विवि की भांति यहां पर सब कुछ आसान नहीं है। जबकि यह विवि अंतरराष्ट्रीय स्तर का विवि बनने का सपना भी देख रहा है। सिद्धार्थ विवि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की पहल पर सपा सरकार ने स्थापित कराया। तीन शिफ्टों में काम होने के बाद भी अभी तक विवि का प्रशासनिक भवन के साथ छात्रावास, कुलपति अतिथि भवन के साथ कुछ ही भवन का निर्माण हो सका है।
इसके बाद भी वर्ष 2015 में विवि में बीकॉम की कक्षा का संचालन उधार के शिक्षकों से शुरू कराया गया। एक वर्ष बीकॉम के स्थाई शिक्षक तो मिल गए लेकिन अन्य विषयों के शिक्षक विवि को अभी तक नहीं मिल सके है। जबकि विवि से 290 महाविद्यालय जुडे़ हुए हैं। ऐसा नहीं कि विवि प्रशासन ने शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रयास नहीं किया, यहां पर शिक्षकों की भर्ती के लिए एक दो बार नहीं बल्कि तीन तीन बार विज्ञापन निकाला गया लेकिन आवेदकों की संख्या काफी कम रही, जिससे अभी तक यहां पर बीकॉम को छोड़ अन्य विषयों की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है।
ऐसे में दूसरे कुलपति के रूप में मंगलवार को कार्यभार ग्रहण करने वाले कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र दुबे के लिए सिद्धार्थ विवि बड़ी चुनौती से कम नहीं है। विवि के अधूरे भवनों में विभिन्न विषयों की कक्षाओं का संचालन करना नए कुलपति के लिए आसान नहीं होगा। जबकि भारत नेपाल सीमा पर स्थित यह विवि नेपाली छात्रों के आमद को लेकर अंतरराष्ट्रीय विवि बनने का सपना भी संजोए हुए हैं।
input- suraj kumar