ऐसे में इस तरह के कानून की कोई जरूरत नहीं है। मौलाना इद्रीश बस्तवी ने कहा कि लोक सभा में पास किए गए कानून के मुताबिक जब मर्द को तीन तलाक देने की वजह से तीन साल के लिए जेल भेज दिया जाएगा तो उसकी बीबी जो अभी अपने शौहर की बीबी कहलाएगी उसका गुजर बसर कैसे होगा। आखिर में इसके पीछे सरकार की क्या मंशा है। इसे काला कानून बताते हुए इसका विरोध किया। मुसलमान औरते अपनी शरीयत को लेकर निश्चिंत है ऐसे में इस तरह के कानून की उन्हें कोई जरूरत है। यह कानून जबरिया थोपा जा रहा है। मौलाना हफीजुल्लाह ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव आधे दीन से छुटकारे की तरह है, जिसे कोई भी सच्चा मुसलमान कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता। जिस कायम के लिए उसका दिल व जमींर तैयार नहीं होता है उसे अपनाया नहीं जा सकता है।
उसे कोर्ट को संसद के माध्यम से जबरिया थोपा नहीं जा सकता है। काजी इस्लामुदीन ने कहा कि इस तरह के कानून से हमारी शरीयत पर उठाया जा रहा है। जिसे कोई भी मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेगा। ऐसे में सरकार को इस बिल को वापस लेना होगा। कांसफे्रस को मौलाना जफर नूरानी, अली अहमद बिसमिल्लाह अजीजी, मौलाना बरकत अली, अब्दुला आरिफ ने संबोधित करते हुए तीन तलाक बिल का विरोध किया। साथ ही जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित कर बिल को वापस लेने की मांग की।
BY-Suraj Chauhan