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सीधी

MP के इस जिले में 40 फीसद बच्चों की रुक गई बाढ, ये है कारण

-एनएएफएचएस रिपोर्ट में पाई गई शारीरिक व मानसिक रुग्णता

सीधीSep 12, 2020 / 05:41 pm

Ajay Chaturvedi

malnourished children

malnourished children

सीधी. जिले के बच्चों की बाढ रुक रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएएफएचएस) के अनुसार ऐसा कुपोषण के चलते हो रहा है। इससे बच्चे शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार पांच साल तक के 39.7 फीसदी बच्चे कुपोषण के चलते बौनेपन का शिकार पाए गए हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएएफएचएस) की रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल तक के 39.7 फीसदी बच्चों की बाढ कुपोषण के चलते रुक गई। इसमें 10.6 फीसदी बच्चों की स्थिति अत्यंत गंभीर है। महिला एवं बाल विकास इस रिपोर्ट के आधार पर जिले में बौनेपन की समस्या को दूर करने के लिए पोषण अभियान के तहत कई योजनाएं चला रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों एवं अस्पतालों में 5 साल के बच्चों को नियमित वजन कराया जा रहा है इनकी मानीटरिंग के लिए अलग से इंतजाम किए गए हैं।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार बौनेपन की शिकायत पीढ़ीगत है। उऩके अनुसार बच्चे के शुरूआती एक हजार दिनों में कुपोषण से बौनापन होता है। ऐसे बच्चों के भविष्य में मधुमेह, मोटापा और उच्च रक्तचाप की चपेट में आने का खतरा ज्यादा रहता है। साथ ही मानसिक विकास भी बाधित होने की आशंका रहती है।
रिपोर्ट के अनुसार सीधी जिले में 5 वर्ष तक के 1,03,410 बच्चों की नापी की गई जिसमें 18,813 बच्चे गंभीर रूप से बौनेपन का शिकार पाए गए हैं, जिनका प्रतिशत 10.06 है। इसमें कुसमी परियोजना के 1549, मझौली के 2341, रामपुर नैकिन-1 के 1522, रामपुर नैकिन-2 के 2142, सीधी-1 के 4318, सीधी-2 के 3437 तथा सिहावल परियोजना के 3904 बच्चे शामिल हैं।
जिले में 5 वर्ष तक के 10.06 फीसदी बच्चे मध्यम रूप से बौनेपन के शिकार पाए गए हैं। इसमें 1,03,410 में से 23,750 बच्चे मध्यम रूप से बौनेपन का शिकार पाए गए हैं। इसमें कुसमी परियोजना के 1374, मझौली के 2648, रामपुर नैकिन-1 के 2376, रामपुर नैकिन-2 के 2360, सीधी-1 के 5363, सीधी-3 के 3692 तथा सिहावल परियोजना के 5267 बच्चे शामिल हैं।
“कुपोषण एक गंभीर समस्या है इससे निजात पाने के लिए विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। अब तो हम गांव- गांव में जाकर ऐसे घरेलू तरीके बताए रहे हैं जिससे लोग अपना कर कुपोषण को दूर कर सकें। पिछले आंकड़े में जिले में कुपोषण से 48.7 फीसदी बच्चे बौनेपन का शिकार मिले थे, जबकि इस बार आंकड़ा घटा है वर्तमान में हम 39.7 ही प्रतिशत है।”-अवधेश सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास सीधी

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