मिजल्स बीमारी के उपरांत बच्चे को दस्त रोग, निमोनिया, अंधापन, कुपोषण दिव्यांगता एवं मृत्यु भी हो सकती है। रूबेला बीमारी में बच्चे को सर्द खासी, आंखे लाल, मामूली बुखार दानेदार जैसे लक्षण पाए जाते हैं और कभी कभी ऐसा भी होता है कि मरीज को बीमारी का पता भी नहीं चलता। यदि रूबेला का संक्रमण गर्भावस्था के प्रथम त्रैमास में हो तो पैदा होने वाले शिशु में जन्मजात अंधापन, बहरापन हृदय रोग एवं मानसिक कमजोरी हो सकती है।
मीजल्स रूबेला का कोई इलाज नहीं है। यह एक वीषाणु जनित रोग है। इसका टीकाकरण ही मात्र एक बचाव है। पहले 9 से 11 माह एवं 16 से 24 माह पर क्रमश: मीजल्स वैक्सीन दिया जाता था। अब उसके स्थान पर इस अभियान से एक ही टीके में 2 बीमारीयों से बचाव के लिए एमआर (मिजल्स रुबेला) का टीका दिया जाएगा।