कोरोना का कहर अभी जारी है। इस बीच बारिश और तमाम छोटी-बड़ी नदियों में आई बाढ ने रोजी रोजगार लगभग छीन ही लिया है। कम से कम गांवों में तो यही हाल है। चाहे खेती गृहस्थी हो या निर्माण कार्य हर काम बंद है। खेतिहर मजदूर हो या राजमिस्त्री दोनों के हाथ खाली हैं। काम है नहीं तो परिवार के मुखिया घर बैठे हैं। ऐसे में उऩके बच्चों के लिए स्मार्ट फोन और मोबाइल री-चार्जिंग मुश्किल काम हो चला है। शिक्षा विभाग के अफसर लगातार हर वर्ग को ऑनलाइन एजुकेशन के लिए प्रेरित करने में जुटे हैं। लेकिन हकीकत ये कि जिस घर में दो वक्त की रोटी के लाले पड़े हों वो स्मार्ट फोन कहां से लाए और कहां से री-चार्ज कराए।
अब स्थिति यह है कि शासन के आला अफसरान या नेता चाहे जो दावा करें पर, ‘हमारा घर हमारी पाठशाला’ योजना के तहत छात्रों के यहां संपर्क करने जाने वाले शिक्षक भी अभिभावको की मजबूरी देख ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बिना दवाब बनाए ही लौट रहे हैं। कुल मिलाकर सरकारी स्कूलों की बंदी से पठन-पाठन तो प्रभावित हो ही रहा है। और ये कब तक चलेगा यह भी नहीं कहा जा सकता।
वैसे सीधी जिले के सवा लाख के करीब छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। ऑनलाइन पढाई जारी रखने की व्यवस्था ने घर बैठे छात्रों मायूस कर दिया है। बता दें कि जिले में 40 हजार छात्रों के ऑनलाइन पढ़ाई करने का दावा किया जा रहा है पर हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है।
प्राथमिक, माध्यमिक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने के दावे को तो खुद शिक्षक भी नकार रहे हैं। जिन बच्चों को क्लास में कड़ी निगरानी के बीच पढ़ाना मुश्किल होता रहा है वहीं मोबाइल से डीजीलिप कार्यक्रम को देखकर पढ़ रहे होंगे शिक्षको को भी भरोसा नहीं है। बारिश के मौसम में स्थान का अभाव और कोरोना संक्रमण का भय घरों में कैसे पाठशाला चल रही होगी यह भी जांच का विषय है।