उन्होंने कहा, गुलाब सागर बांध के लिए अधिग्रहित जमीन में निश्चित ही किसानों के हित व अधिकार को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा, भू-अर्जन कानून पूरे देश में एक है। उसे किसी प्रदेश का सचिव चुनौती दे यह बेहूदापना है, फिर भी ऐसे आदेशों के चलते किसान और प्रशासन के बीच टकराहट की स्थिति बनी हुई है। इसके लिए संघर्ष की जरूरत है।
अध्यक्षता कर रहे क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने बताया, जिले में किसानों से लूट व अन्याय यह पहली घटना नहीं है। मझौली के ग्राम भुमका मूसामूड़ी में भी किसानों की जमीन औने-पौने दाम में उद्योगपति को दे दी गई थी, लेकिन लंबे संघर्ष के बाद जीत हुई। आज उस जमीन पर किसान काबिज हैं। इसी तरह संजय टाइगर रिजर्व में भी जबरन विस्थापन किया जा रहा है। वहां भी किसान आंदोलित हैं।
मप्र किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष राम नारायणपुर कुररिया ने कहा, किसान लड़ाई लड़ें अधिकार जरूर मिलेगा। जय किसान आंदोलन स्वराज अभियान के जिलाध्यक्ष हर्षवर्धन सिंह तिवारी ने कहा, भू-अर्जन की कार्रवाई किसानों के सहमत से और पारदर्शी होना चाहिए।
भाकपा के जिला सचिव सिंगरौली राम लल्लू गुप्ता, सुंदर सिंह बाघेल, जनवादी नौजवान सभा के जिला सचिव इंद्रसेन सोनी, शिव कुमार सिंह, एकता परिषद के सरोज सिंह, रामनरेश कुशवाहा, श्रीपाल सिंह, ज्योति प्रकाश नामदेव, दिनेश यादव, रामा कोल, सरपंच कुसुम कली, बृजेश सिंह व राजकुमार तिवारी ने भी विचार रखे। तहसीलदार अखिलेश मालवीय व पटवारी प्रभाकर नामदेव भी मौके पर पहुंचे।