हलांकि अभी चिन्हित किए गए अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा शुरू नहीं की गई है लेकिन जैसे ही संबंधित लोगों को पता चला कि उनके मकान अतिक्रमण को लेकर राजस्व अमले द्वारा चिन्हित किए गए हैं तो उनके होश उड़ गए। लोग बुधवार को जमीन संबंधी दस्वावेज लेकर राजस्व अधिकारियों के पास चक्कर लगाने लगे, लेकिन बुधवार को ईद का अवकाश होने के कारण कार्यालय तो बंद मिले लेकिन अतिक्रमण संबंधी चिन्हांकन करने तहसीलदार गोपदबनास लक्ष्मण पटेल के नेतृत्व में पहुंची राजस्व टीम के साथ काफी देर तक लोगों की बहस चलती रही। तहसीलदार ने मौके पर स्पष्ट कर दिया गया कि भले ही आप लोगों के पास जमीन संबंधी दस्तावेज हैं, लेकिन सूखा नदी का क्षेत्र है उसके नाप में मकान नदी की भूमि में आ रहे हैं, चिन्हांकन का आदेश मुझे मिला था, तो चिन्हांकित कर दिया गया है, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई होगी या नहीं यह एसडीएम ही बता पाएंगे।
अतिक्रमण के रूप में चिन्हित मकानों के स्वामियों ने बताया कि हम लोगों ने जमीन क्रय की है, इसकी रजिस्ट्री कराई, भवन निर्माण की अनुमति ली, सीमांकन कराया इसके बाद मकान का निर्माण किया। पूर्व के राजस्व अधिकारियों ने सब कुछ वैध बताया जिसके रिकार्ड भी हम लोगों के पास हैं, लेकिन अब जो नाप किया जा रहा है, उसमे हमारे मकान अतिक्रमण में बताए जा रहे हैं, हमने खून पसीने की कमाई से जमीन क्रय कर घर बनाए हैं, अब यदि मकान गिरा दिए गए और जमीन प्रशासन ने ली तो हम बेघर हो जाएंगे।
सूखा नदी की भूमि का नाप करने के बाद जैसे ही अतिक्रमण का चिन्हांकन कर राजस्व अमले द्वारा मकानों में लाल निशान लगाया गया, संबंधित मकान स्वामियों के होश उड़ गए। लोग अपने-अपने जमीन व मकान संबंधी रिकार्ड लेकर राजस्व अमले के सामने गिड़गिड़ाने लगे, लेकिन तहसीलदार का कहना था कि नाप सही किया गया है, जमीन विक्रेता की गड़बड़ी थी कि उसने अपने हिस्से के रकबे से ज्यादा भूमि विक्रय कर दी और के्रताओं को भी इसका ध्यान रखना था कि जो रकबा वह क्रय कर रहे हैं, वह रकबा वास्तव में है या नहीं। इस मामले को लेकर दिन भर मकान स्वामी परेशान रहे और राजस्व अधिकारियों के पास चक्कर लगाते रहे।