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कोरोना महामारी से लोगो को बचाने में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों को 5 महीने से वेतन का इंतजार

-आउट्डोर शेडमैप के मार्फत हुई थी नियुक्ति

सीधीAug 01, 2020 / 04:14 pm

Ajay Chaturvedi

स्वास्थ्यकर्मियों को 5 महीने से वेतन का इंतजार (प्रतीकात्मक फोटो)

स्वास्थ्यकर्मियों को 5 महीने से वेतन का इंतजार (प्रतीकात्मक फोटो)

सीधी. कोरोना काल में जहां लोगों की माली हालत पहले से पतली है, वहीं शासन-प्रशासन में बैठे लोगो की लापरवाही का दंश भी झेलना पड़ रहा है। अब सीधी का ही मामला ले जहां के स्वास्थ्यकर्मी जो रोजाना कोरोना जैसी महामारी से लोगों को बचाने में जुटे है। जान जोखिम में डाल कर दिन-रात एक करके काम कर रहे हैं उन्हें 5 महीने से वेतन नहीं मिल रहा।
इस संबंध में बताया जाता है कि तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. एसबी खरे ने 13 कर्मचारियों की आउट्डोर शेडमैप के मार्फत नियुक्ति की थी। सिविल सर्जन का तो तबादला हो गया, अब नए सिविल सर्जन भी उन स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन के लिए खासे लापरवाह नजर आ रहे हैं। अब मौजूदा प्रशासन स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन के मुद्दे पर तत्कालीन सिविल सर्जन को ही दोषी ठहरा कर अपना पल्ला झाड़ने में लगा है।
बताया जा रहा है कि तत्कालीन सिविल सर्जन ने इन नियुक्तियों के लिए शासन की रजामंदी नहीं ली। लेकिन डॉ खरे का कहना है कि उन्होंने सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही नियुक्ति की थी, जबकि वर्तमान सिविल सर्जन डॉ. डीके द्विवेदी के अनुसार अनुबंध में पेंच फंसा होने के कारण कर्मचारियों का वेतन निर्गत नहीं हो रहा। ऐसे में अब पत्राचार तो तेज हो गया है लेकिन कर्मचारियों को वेतन का इंतजार है।
उधर कोरोना संक्रमण के दौरान कलेक्टर दर पर नियुक्त किए गए कर्मचारी सेवाएं तो लगातार दे रहे हैं पर पारिश्रमिक न मिलने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। नियुक्त किये गये कर्मचारियों में अधिकांश गरीब परिवार से संबंधित हैं जिन्हें अस्थाई नौकरी से रोजी-रोटी का आधार तो मिल गया था पर अनुबंध के लफड़े में अकारण ही पिसना पड़ रहा है। कर्मचारियों के वेतन के संबंध में जनप्रतिनिधियों के आग्रह पर कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी, सिविल सर्जन डॉ. डीके द्विवेदी ने कई बार शासन और शेडमैप को पत्र लिखा है पर इसके बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है।
बता दें कि कर्मचारियों की तैनाती के बाद मई में डॉ. खरे सिविल सर्जन के पद से हटाये गये थे तब भी वेतन विसंगति का मामला ज्यों का त्यों बना रहा। बाद में जब डॉ. डीके द्विवेदी सिविल सर्जन बने तो कर्मचारियों के वेतन का मामला सामने आने पर लिखा-पढ़ी तो की है पर वेतन भुगतान कराने में वे भी सफल नहीं हो पाए हैं। नियोक्ता सिविल सर्जन और वर्तमान सिविल सर्जन से इस संबंध में बात करने पर एक-दूसरे की कमी को ही गिनाया जा रहा है।
“हमारे कार्यकाल के दौरान करीब 10 कर्मचारियों की जब नियुक्ति की गई थी, तब अनुबंध आदि की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। वेतन भुगतान क्यों नहीं हो रहा और किस कारण से देरी हो रही है यह तो वर्तमान सिविल सर्जन ही बताएंगे। उनकी ओर से कोई कमी नहीं छोड़ी गई थी।”-डॉ. एस.बी. खरे, तत्कालीन सिविल सर्जन
कर्मचारियों के नियुक्ति के बाद लंबित वेतन भुगतान का मामला सामने आने पर शासन और शेडमैप को कई बार पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन अनुबंध की पेंच के कारण मामला लंबित है। अनुबंध हो जाए और शासन द्वारा शेडमैप के जरिये राशि उपलब्ध करा दी जाये तो वेतन भुगतान में देरी नहीं होगी। इस संबंध में कलेक्टर द्वारा भी शासन को पत्र लिखा जा चुका है।-डॉ. डीके द्विवेदी, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल सीधी।

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