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सीधी

ये कैसे आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र, शौंचालय तक का नहीं हुआ निर्माण, जो हैं वो पूरी तरह जर्जर

केवल नाम के बना दिए गए हैं आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र, दीवारों में रंगरोदन कर झूठी वाहवाही लूट रहे विभागीय अधिकारी

सीधीFeb 15, 2020 / 01:08 pm

Manoj Kumar Pandey

How was this construction not done till the ideal Anganwadi center, to

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सीधी/पथरौला। केंद्र सरकार द्वारा देश भर में चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन के तहत जहां हर घर व सरकारी दफ्तरों में ग्राम पंचायत के माध्यम से शौंचालय निर्माण कराए जाने का प्रावधान बनाया गया था। वहीं शौचालय निर्माण कराने वाले हितग्राहियों को प्रोत्साहन के रूप में 12 हजार रुपए दिया जाना तय किया गया था। साथ ही ग्राम पंचायत अंतर्गत शत् प्रतिशत शौंचालय निर्माण कार्य पूरा कर ग्राम पंचायत को खुले में शौंच मुक्त ग्राम पंचायत घोषित किया जाना था। जिसके तहत पूरे जिला को खुले में शौंच मुक्त घोषित करते हुए जिम्मेदारों ने वाहवाही तो लूट लिया। किंतु यदि स्वच्छ भारत मिशन की जमीनी हकीकत पर गौर किया जाए तो आलम ये है कि जिनके कंधे पर स्वच्छता अभियान की जिम्मेदारी थी, उनकी ही संस्था में शौचालय का अभाव अभी भी बना हुआ है।
ऐसा ही एक मामला आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत शासकीय संस्थाओं का प्रकाश में आया है। जहां महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित किए जाने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय का अभाव अभी भी बना हुआ है। इतना ही नहीं जिन आंगनबाड़ी केंद्रों को विभाग द्वारा आदर्श बना दिया गया है। उन आंगनबाड़ी केंद्रों में अभी भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है। लिहाजा आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाली कर्मचारी महिलाओं, किशोरी बालिकाओं सहित बच्चों को शौंच के लिए खुले में जाने की मजबूरी सी बन गई है। गत दिवस भ्रमण के दौरान कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा केंद्र में पूर्व से बने शौंचालय का हाल दिखाते हुए बताया कि कंेद्र में आने वाले छोटे बच्चे शौच के लिए आसपास के खेतों में चले जाते हैं। जिससे ग्रामीणों द्वारा भला बुरा कहते हुए अभद्र व्यवहार किया जाता है। भ्रमण के दौरान देखा गया कि कुछ कंेद्र में भवन निर्माण के समय शौंचालय का निर्माण कराया तो गया है, किंतु कहीं तो शौचालय में सीट नहीं लगाई गई है, तो कहीं टैंक का निर्माण ही नहीं कराया गया है। इतना ही नहीं कुछ कंेद्र ऐसे भी देखने को मिले जहां शौचालय का निर्माण ही नहीं कराया गया है। तो कई केंद्रों में महज ढांचा ही खड़ा किया गया है। जिसमे पूरक पोषण आहार रखा देखा गया है। अब सबसे विचारणीय विषय यह है कि इन्हीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से प्रशासन द्वारा सुबह 4 बजे से गांव में फेरी लगाकर कर स्वच्छता संबंधी नारे लगवाए जाते थे। किंतु यही कर्मचारी खुले में शौच करने मजबूर हैं। फिर स्वच्छ भारत का सपना कैसे पूरा होगा, यह बात आम आदमी के समझ से परे है।
आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र रंग रोगन तक सीमित-
क्षेत्र अंतर्गत संचालित किए जाने वाले आंगनबाड़ी केंद्र महज रंग रोगन तक ही सीमित नजर आते हैं। जिसमें भी विभाग द्वारा लाखों रुपए की राशि का बजट खपाया जाता है। और यह राशि भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। किंतु कंेद्रों में साफ -सफ ाई का अभाव बना रहता है। देखा जाए तो आज भी ऐसे कंेद्र हैं जो किराये के खपरैल मकान के छोटे से कमरे में संचालित किए जा रहे हैं। जिस कंेद्र के पास अपना भवन है भी वहां बाउंड्रीवाल नहीं होने के कारण कंेद्र सहित बच्चे भी असुरक्षित रहते हैं। कई भवन तो ऐसे भी हैं जो बनकर खंडहर में तब्दील हो गए हैं। लेकिन उनका उपयोग नहीं किया गया है। लेकिन कुछ कंेद्र ऐसे हैं। जो विद्यालय के अतिरिक्त में संचालित किए जा रहे हैं। जिनका रखरखाव न तो शाला प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है और न ही महिला बाल विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में खंडहरनुमा भवन में औपचारिकता के बीच कंेद्र का संचालन किया जाता है, और जिम्मेदार मौन हैं।

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