वाटरशेड विकास परियोजना द्वारा कराए गए करोड़ों के निर्माण कार्य की शिकायत मिलने पर दो वर्ष पहले जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन अब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकी है। दिसंबर 2016 में जांच दल ने उपयंत्री संतोष द्विवेदी व टीम लीडर आशीष सिंह बघेल की उपस्थिति में जांच की थी, किंतु रिकार्ड मिलने में देरी होने से जांच रिपोर्ट नहीं दी जा सकी थी। हालांकि, जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद 1६ अप्रैल 2017 को कार्यपालन यंत्री आरइएस ने जिला पंचायत सीइओ को रिपोर्ट सौंप दी है, इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की गई।
वाटरशेड विकास परियोजना टीम अंतर्गत सर्वाधिक निर्माण कार्य धनौली, पोंड़ी, बड़काडोल में कराए गए हैं। यहां चेक डैम निर्माण के कार्य किए गए हैं। परियोजना अधिकारी की टीम ने न तो तकनीकी प्राकलन का ध्यान रखा और न ही निर्माण स्थल की उपयुक्तता पर गौर किया है। इसीलिए निर्माण कार्य अनुपयोगी पाए गए हैं। संरचना की भौतिक स्थिति भी काफी निराशाजनक देखी जा रही है।
आइडब्ल्यूएमपी योजना के तहत कराए गए निर्माण का भौतिक सत्यापन कराया गया है। किंतु जांच दल ने प्रतिवेदन नहीं सौंपा। जिससे कार्रवाई नहीं की जा सकी है। जांच प्रतिवेदन के लिए पत्र लिखा गया है, मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर विचार किया जा सकता है।
दीपक अहिरवार, तकनीकी विशेषज्ञ, आईडब्ल्यूएमपी परियोजना