पत्रिका द्वारा मंगलवार को प्रकाशित खबर को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने मंगलवार सुबह उडऩदस्ता दल को मौके पर भेजा, लेकिन स्कूल प्रबंधक को पहले से ही जानकारी हो पाने पर करीब आधा घंटे के लिए नकल पर रोक लगा दी गई, जिससे उडऩदस्ता टीम को एक भी नकल प्रकरण नहीं नसीब हुए, टीम के लौटते ही पुन: नकल का सिलसिला शुरू कर दिया गया। वहीं दूसरी पाली की परीक्षा तीन से छह बजे तक नकल का सिलसिला चलता रहा।
भोजमुक्त परीक्षा मे पढ़े-लिखे बेरोजगारों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। जहां नकल कराने के लिए चुटका छांटने व कॉपी लिखने के भी अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सूत्रों की बात माने तो चुटका छांटने वाले को दो सौ रूपए व परीक्षा की कांपी लिखने वाले को एक पेपर के बदले पांच सौ रूपए दिए जा रहे हैं। इस तरह की नकल कर डिग्री हांसिल करने वाले युवाओं का भविष्य क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
बता दें कि, भोज मुक्त विवि की स्नातक परीक्षाओं में खुलेआम नकल जारी है। सेमरिया के बाद धुम्मा केंद्र में भी सामूहिक नकल का वीडियो वायरल हुआ है, बावजूद इसके अधिकारी मौन हैं। जबकि, कलेक्टर दिलीप कुमार ने इसके लिए उडऩदस्ता दल गठित किया है, जिसे लगातार निगरानी करनी है। लेकिन जानबूझकर वे दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। अनदेखी का आलम ये है कि परीक्षा केंद्र के बाहर भी नकल सामग्री पहुंचाने वालों का हुजूम लगा रहता है।
भोज परीक्षा में नकल तो आम बात है। लेकिन इसके लिए वसूली का खेल नया है। सोमवार को बीएससी द्वितीय वर्ष की वनस्पति विज्ञान की परीक्षा थी। धुम्मा सेंटर में शामिल कई छात्रों ने बताया, परीक्षा के पूर्व में ही छात्रों से तीन हजार से लेकर पांच हजार तक नकल कराने के नाम पर वसूली की गई है। वहीं बताया गया कि जिस परिक्षार्थी ने दस हजार रुपए दे दिए उसे परीक्षा देने आने की जरूरत ही नहीं पड़ती उसकी कापी प्रिंसिपल के कार्यालय में ही लिख जाती है। बाहर आ जाते हैं प्रश्र-पत्र: केंद्र में जैसे ही प्रश्रपत्र का वितरण हुआ वैसे ही प्रश्न-पत्र केंद्र से बाहर पहुंचा दिए गए। इसके लिए खिड़कियों पर तैनात परीक्षार्थियों के परिजनों को बेसब्री से इंतजार रहता है। परिजन प्रश्न-पत्र पाते ही चुटका बनाकर परीक्षार्थियों तक पहुंचाने में जुट जाते हैं।