पीडि़त बृजेश अमिलिया स्थित भाई की ससुराल आया था। ***** बीमार थी, जिसे 21 जनवरी की दोपहर करीब १२.३० बजे बाइक से जिला चिकित्सालय ला रहा था। तभी उसके मोबाइल पर फोन आया और वह देवघटा मोड़ के पास बाइक खड़ी कर बात करने लगा। फोन कटने के बाद ***** को जानकारी दे रहा था, तभी बाइक से दो युवक पहुंचे और गाली-गलौज करते हुए मारपीट करने लगे। उसका मोबाइल व जेब में रखा ८०० रुपए भी छीन लिए। एक युवक ने आइकार्ड दिखाते हुए कहा कि मेरा नाम धीरेंद्र सिंह चौहान है। मै पुलिस में हूं, किसी को बताओगे तो उल्टा परिणाम भुगतना पड़ेगा। इतना कहते हुए दोनों वहां से चले गए।
इसके बाद पीडि़त ने कोतवाली पहुंचकर मामले की शिकायत की दर्ज कराई। इस पर पुलिस ने धारा २९४, ३९४, ५०६ के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू की। आरक्षक को गिरफ्तार कर जिला न्यायालय प्रस्तुत किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है।
आरक्षक धीरेंद्र के खिलाफ पहले भी लूट और चोरी की कई शिकायतें दर्ज हैं। उस पर नित नए गंभीर वारदात को अंजाम देने के मामले सामने आते रहते हैैं। लेकिन पुलिस की ढील की वजह से बच निकलता था। इससे पहले कोतवाली से बाइक चुराने, लड़की का अश्लील वीडियो वायरल करने, मारपीट व वाहन चालकों से लूट की वारदातें कर चुका है। यह आरक्षक आम लोगों के लिए आतंक का पर्याय बन चुका है। फिर भी पुलिस प्रशासन ने जिला बदर सहित अन्य गंभीर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
राघवेंद्र द्विवेदी, नगर निरीक्षक, सिटी कोतवाली सीधी