परिजनों ने सप्ताहभर पहले जिला अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन आराम नहीं मिला, लिहाजा रीवा रेफर करा लिया। वहां जांच में डेंगू की पुष्टि होने पर उपचार के लिए पहले इलाहाबाद लेकर गए वहां भी आराम नहीं मिला तो लखनऊ पीजीआई ले गए, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
जिले में डेंगू से संभवत: पहली मौत इस वर्ष जिले में डेंगू से संभवत: पहली मौत है, लेकिन आमजन में इसे लेकर दशहत का महौल बन गया है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग इस गंभीर बीमारी को लेकर संवेदनशील नजर नहीं आ रहा। जिले में अब तक न तो डेंगू पीडि़तों के लिए अलग वार्ड निर्धारित किया गया है न ही चिकित्सकों का दल गठित किया। यहां तक की मरीजों की वास्तवित संख्या बताने को भी तैयार नहीं हैं।
नहीं उपचार के पुख्ता इंतजाम
जिले में डेंगू पीडि़त मरीजों के उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं की गई। आधुनिक मशीन उपलब्ध होने के बावजूद लोगों की जांच जबलपुर से करानी पड़ रही है। बताया गया, ब्लड सैम्पल लेकर एलाइजा टेस्ट के लिए जबलपुर भेजा था, यहां से रिपोर्ट आने में पखवाड़े भर लग जाते थे, तब तक सामान्य बुखार समझकर ही उपचार दिया जाता था। रिपोर्ट आने तक मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।
जिले में डेंगू पीडि़त मरीजों के उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं की गई। आधुनिक मशीन उपलब्ध होने के बावजूद लोगों की जांच जबलपुर से करानी पड़ रही है। बताया गया, ब्लड सैम्पल लेकर एलाइजा टेस्ट के लिए जबलपुर भेजा था, यहां से रिपोर्ट आने में पखवाड़े भर लग जाते थे, तब तक सामान्य बुखार समझकर ही उपचार दिया जाता था। रिपोर्ट आने तक मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।
कुशल कर्मचारी उपलब्ध नहीं इसे देखते हुए शासन ने लाखों रुपए खर्च कर डेंगू की जांच के लिए जिला अस्पताल को मशीन उपलब्ध कराई, लेकिन विडंबना यह है कि मशीन संचालित करने के लिए कुशल कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराए और यहां पदस्थ अमला इसे चलाने में सक्षम नहीं है। ऐसे में मशीन स्टोर में बेकार पड़ी हुई है। कुछ कर्मचारियों को ट्रेनिंग के लिए जबलपुर भेजा गया है, लेकिन वे यहां चार-छह महीने बाद ही सेवा दे पाएंगे। तब लोग इसी तरह परेशान होते रहेंगे।
इंतजार के सिवा कोई विकल्प नहीं निजी पैथोलॉजी में यह जांच काफी महंगी है। ऐसे में गरीब तबके के मरीजों के पास इंतजार के सिवा कोई विकल्प नहीं है। संपन्न लोग निजी पैथोलॉजी से जांच करा लेते हैं। यहां चार से छह घंटे में रिपोर्ट मिल जाती है। इसके लिए एक हजार खर्च करने पड़ते हैं।
पदाधिकारियों ने जताया शोक
नवीन के निधन पर सपाक्स संस्था के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। इससे उनकी चुनावी तैयारियों पर भी असर पड़ा है। पदाधिकारियों का कहना था कि उनकी संगठन में मजबूत पकड़ थी।
नवीन के निधन पर सपाक्स संस्था के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। इससे उनकी चुनावी तैयारियों पर भी असर पड़ा है। पदाधिकारियों का कहना था कि उनकी संगठन में मजबूत पकड़ थी।