शहर के स्कूल भवन ही जर्जर, बारिश में कमरों में भरा पानी
एक कमरें में संचालित करनी पड़ रही सभी कक्षाएं, भवन के जर्जर क्षत दे रहे हादसों को आमंत्रण, जिम्मेदार बने अंजान, नहीं दुरूस्त करा रहे भवन, वर्षों से व्याप्त है समस्या
सीधी। बारिश का मौसम शुरू होते ही स्कूलों मे दुर्दशा शुरू हो गई है। बीते चार दिनों से जारी लगातार बारिश के दौर से जर्जर छत वाले स्कूल भवनों के कमरे में पानी भर गया है, ऐसी स्थिति में बच्चों को बैठने के लिए जगह नहीं बच रही है, ऐसी कई स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को एक साथ बैठाना पड़ रहा है। शिक्षक बच्चों को व्यवस्थित करने में जुटे रहते हैं, और पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है। स्कूलों की जर्जर भवनों को लेकर स्कूल प्रबंधन द्वारा लगातार जिम्मेदार अधिकारियों को पत्राचार तो किया जाता है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण भवनों की मरम्मत न होने से बारिश के मौसम में परेशानी बढ़ गई है।
जिले के ग्रामीण अंचलों में तो कई स्कूलों में इस तरह की समस्या है, लेकिन यहां जिला मुख्यालय की शासकीय स्कूलों का ही हाल-बेहाल है। पत्रिका द्वारा बुधवार को शहर के दो शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया गया तो दोनो ही स्कूलों में भवन की स्थिति काफी खराब मिली। बारिश के कारण स्कूलों के ज्यादातर कक्षा भवनों की छत टपकती मिली, ऐसी स्थिति मे बच्चों को एक सुरक्षित कमरा ढूंढकर एक साथ सभी कक्षाओं के बच्चों को बिठाने की मजबूरी देखी गई। विद्यालय प्रबंधन के अनुसार विद्यालय भवन की जर्जर छत को लेकर कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को पत्राचार करने की बात बताई गई, लेकिन नतीजा क्या निकला वह भवन की स्थिति देखकर अंदाजा लग गया। शिक्षकों ने बताया कि बारिश के मौषम जब बारिश का दौर रहता है तब हम लोग बच्चों को व्यवस्थित करने में ही जुटे रह जाते हैं, इससे पढ़ाई काफी प्रभावित होती है।
शासकीय प्राथमिक शाला दक्षिण करौंदिया-
स्थानीय शहर के शासकीय प्राथमिक शाला दक्षिण करौंदिया की स्थिति का जायजा लेने के दौराना पाया गया कि प्राथमिक विभाग का एक भवन ऐसा नहीं था जिसकी छत न टपकती हो, विद्यालय के कक्षों में पानी भरा था, और छत लगातार टपक रही थी, ऐसी स्थिति में प्राथमिक विभाग के बच्चों को माध्यमिक विभाग के एक कक्ष में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को बिठाया गया था।
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सीधी खुर्द-
शहर के कोतवाली मार्ग स्थिति शासकीय माध्यमिक शाला सीधी खुर्द में भी कुछ इसी तरह की स्थिति देखने को मिली। यहां भी विद्यालय भवन की छत टपक रही थी, यहां कक्ष में बच्चे पानी से बचने के लिए एक कोने में बैठे दिखे। इस विद्यालय की भी स्थिति यह बताई गई की लगातार पत्राचार के बाद भी विद्यालय भवन के छत की मरम्मत नहीं कराई जा रही है।
नहीं मिल रहा पर्याप्त बजट-
जिले में करीब 2300 स्कूलों हैं, सभी के कुछ कमरे तो जर्जर हैं ही, बीआरसी एवं शिक्षकों के माध्यम से जर्जर भवनों वाली स्कूलों के प्रस्ताव मंगाए जाते हैं, जिसमे प्राथमिकता के आधार पर प्रस्ताव भोपाल भेजा जाता है, वहां से अधिकतम 30 विद्यालयों के मरम्मत का ही प्रस्ताव पिछले दो वर्षों से पास किया जा रहा है, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। वैसे स्कूलों के पास कंटरजेंसी का मद रहता है जिससे छोटी-मोटी मरम्मत कराई जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है, यहां तक की छतों की सफाई तक नहीं कराई जाती।
एसपी तिवारी
एसडीओ, जिला शिक्षा केंद्र सीधी
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