जिसका असर भवन की बिल्डिंग पर पडऩा स्वाभाविक है, ऐसी स्थिति मे भवन के पीछे का छज्जा जमीन पर गिर रहा है, वहीं भवन के अंदर का भी प्लास्टर जमीन पर गिर रहा है, जिसकी मरम्मत नगर पालिका प्रशासन के द्वारा नहीं कराई जा रही है, जबकि हर माह मोटे किराए की वसूली की जा रही है।
बताया गया कि विकास भवन का तीन मंजिला मे निर्माण कराया गया है, जिसमें आधा सैकड़ा से ज्यादा कमरों का निर्माण कराया गया है। इस भवन का उद्घाटन 14 दिसंबर 1986 को तत्कालीन भारत सरकार के संचार मंत्री अर्जुन सिंह के द्वारा किया गया था। उसके बाद इस भवन मे कई शासकीय कार्यालय सहित बैंक व व्यवसायिक प्रतिष्ठान के लिए किराए से भवन का आवंटन किया गया है, किंतु नगर पालिका के द्वारा इस भवन को मरम्मत कराने मे रूचि नहीं दिखा पा रहा है।
इन कार्यालयों का हो रहा संचालन
विकास भवन मे कई सरकारी व निजी कार्यालय संचालित हैं। डूडा कार्यालय, बैंक सहित भाजपा कार्यालय के साथ निजी कार्यालय व ब्यवसायिक प्रतिष्ठानो का संचालन किया जा रहा है। किराएदारों के द्वारा हर माह किराया तो अदा किया जाता है, ऐसे मे मरम्मत व साफ-सफाई कराने की जिम्मेदारी नगर पालिका प्रशासन की बनती है, किंतु नपा इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
मोटर बोर चालू करने के बाद बंद करना भूल जाते हैं लोग
विकास भवन के छत पर पानी की सप्लाई के लिए टंकी रखी गई है, जो मोटर पंप से भरी जाती है, किंतु आए दिन देखने को मिलता है कि मोटर पंप चालू करने के बाद टंकी भरने पर भी उसे बंद करना भूल जाते हैं जिसके कारण पानी छत पर भरने के बाद पूरे दीवालो मे फैलता हुआ जमीन पर गिरता है, वहीं छत पर पानी का जमाव हो जाता है, यह कारण भी भवन के लिए नुकसान दायक साबित हो रहा है।