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पत्नी की डिलेवरी का समय आया तो पति बाइक से मुंबई से चलकर आया सीधी

पत्नी की डिलेवरी का समय आया तो पति बाइक से मुंबई से चलकर आया सीधी, मुंबई से सफर तय कर भूंखे प्यासे युवक अपने भाई के साथ पहुंचा घर

सीधीMar 31, 2020 / 12:27 am

op pathak

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मुंबई से सफर तय कर भूंखे प्यासे युवक अपने भाई के साथ पहुंचा घर

सीधी। सात फेरे लगाकर जिंदगी भर का साथ निभाने वाली अगर दर्द से कराह रही हो तो पति कैसे सैकड़ो किमी दूर आराम से रह सकता है वह भी कोरोला जैसी महामारी के दौर में। जी हां ऐसी ही स्थिति आज जिले मे देखने को मिली। एक युवक की पत्नी प्रसव पीड़ा से कराह रही थी तो मुंबई मे रहने वाले पति को अपनी अर्धांग्री का दर्द दूर रहकर बर्दाश्त नहीं हुआ बल्कि उसे आने का साधन नहीं मिला तो वह बाइक उठाया और १४ सौ किमी की दूरी तय करने का निर्णय ले बैठा और वह लगातार सफर करते हुए ४८ घंटे के अंदर अपनी पत्नी के पास पहुंच गया।
बताया गया कि सीधी जिले के बिछिया गांव निवासी सूर्यप्रकाश सिंह चौहान व उसका छोटा भाई जयप्रकाश सिंह चौहान मुंबई मे रहकर रोजी-रोटी कमाने का काम करता था। सूर्यप्रकाश सिंह की पत्नी गर्भवती है, जिसे चिकित्सकों के द्वारा प्रसव की अंतिम तिथि २९ मार्च बताई गई थी। पत्नी के प्रसव पीड़ी की बात को सुनकर पति सूर्यप्रकाश को मुंबई मे रहना चैन नहीं आया वह सीधी वापस अपने घर आने का निर्णय लिया गया किंतु भारत देश मे लॉक आउट होने के कारण रेल्वे, हवाई व सड़क परिवहन सुविधा को बंद कर दिया गया है, जिसके कारण उसे कोई राश्ता नहीं सूझा तब वह बाइक से अपने घर आने का निर्णय लिया, जिस पर उसका भाई जयप्रकाश ने भी साथ चलने का ठान लिया गया। जिस पर दोनो बाइक से सफर करते हुए ४८ घंटे मे अपने घर पहुंच गए।
आगर मालवा मे पुलिस ने रुकवाया-
इनके द्वारा बताया गया कि मुंबई से सीधी आने के दौरान कहीं किसी ने रोका टोंका नहीं बल्कि आगर मालवा पहुंचने पर पुलिस के द्वारा रोका गया, जिसे अपनी समस्याओं से अवगत कराया गया तो उनके द्वारा थाना भेजकर पास दिलवाया गया और नाश्ता भी करवाया गया। उसके बाद उन्हें किसी ने नहीं रोका।
नश्ता लेने से कर दिए इंकार-
सीधी शहर मे पहुंचने के बाद सूबेदार भागवत पांडेय के द्वारा इन बाइक सवारों को रूकवाया गया, जिन्हें भी इन लोगों के द्वारा अपनी समस्याओं से अवगत कराया गया, तब सूबेदार ने कहा कि आप लोग ४८ घंटे से भूंखे हो नाश्ता कर लो फिर घर जाओ किंतु पति अपने पत्नी व परिजनों से जल्द मिलने के कारण अपनी भूंख मिटाने के लिए नश्ता तक करना उचित नहीं समझा गया।

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