दिनभर महिलाएं व्रत रखकर अपने पुत्र की लंबी आयु एवं उनकी खुशहाली के लिए भगवान शंकर व माता पार्वती की आराधना की। पूजा-अर्चना के बाद दोपहर को महिलाएं फसही के चावल, महुआ और दही का सेवन किया। हलषष्ठïी व्रत को लेकर बाजार में फसही का चावल मंहगे दामों में बिका। वहीं टोकरी की कीमत में भी खासी वृद्घि देखने को मिली।
इस पर्व पर फसही के चावल का विशेष महत्व होता है। साथ ही हलषष्ठïी व्रत पर महिलाएं भगवान शंकर एवं पार्वती की कथा सुनी। हलषष्ठïी पर्व को लेकर महुआ और पाड़े को जन्म देने वाली भैंस के दूध से बनी दही का खास महत्व था। जिसके कारण महिलाएं दूध के इंतजाम में कई दिनों से लगी हुई थी।