script1008 दीपकों की आरती में उमड़े श्रद्धालु | 1008 devotees gathered in the aarti | Patrika News
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1008 दीपकों की आरती में उमड़े श्रद्धालु

23 किलो का निर्वाण लाडू समर्पितमोक्ष सप्तमी पर्व पर हुए कई धार्मिक आयोजन

सीकरAug 08, 2019 / 06:08 pm

Vinod Chauhan

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1008 दीपकों की आरती में उमड़े श्रद्धालु

सीकर. जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पाŸवनाथ का निर्वाण महोत्सव बुधवार को मोक्ष सप्तमी के रूप में मनाया गया। स्थानीय पाŸवनाथ भवन में आर्यिका विभाश्री माताजी के सानिध्य में कई धार्मिक आयोजन हुए। यहां सम्मेद शिखर जी की रचना की गई, जिसमे अलग अलग टोंको का वर्णन करते हुए महा तीर्थराज के दर्शन श्रद्धालुओं को करवाए गए। सुबह 48 दीपकों से भक्ताम्बर पाठ एवं जिनसहस्त्रनाम पूजा मंत्र आराधना हुई।
इसके बाद अभिषेक, शांतिधारा, नित्यपूजन, श्री सम्मेदशिखर जी विधान हुआ। 25 परिवारों की ओर से 25 टोंक पर लाडू समर्पण किया गया। मुख्य पार्शवनाथ टोंक पर 23 किलो का निर्वाण लाडू समर्पण किया गया। इस दौरान माताजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि सभी तीर्थंकरों में भगवान पाŸवनाथ सबसे लोकप्रिय है। पाŸवनाथ की लोक व्यापकता का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि आज भी सभी तीर्थंकरों की मूर्तियों और चिह्नों में पाŸवनाथ का चिह्न सबसे ज्यादा है। उन्होंने बताया कि तीर्थंकर पाŸवनाथ ने तीस वर्ष की आयु में घर त्याग दिया था। अपना निर्वाणकाल समीप जानकर श्री सम्मेद शिखरजी (पारसनाथ की पहाड़ी जो झारखंड में है) पर चले गए। जैन ग्रंथों में तीर्थंकर पाŸवनाथ को नौ पूर्व जन्मों का वर्णन हैं।
धर्म का मार्ग ही श्रेष्ठ: डूंगरदास
सीकर. संत डूंगरदास महाराज ने कहा है कि सत्य और धर्म का मार्ग व्यक्ति को कभी नहीं छोडऩा चाहिए। यहां श्रीकृष्ण सत्संग भवन में चल रहे चातुर्मास के दौरान महाराज ने कहा कि धर्म के लिए चाहे परिवार, कुटुम्ब, पुत्र या सम्पत्ति छोडऩी पड़े, तो छोड़ देनी चाहिए, लेकिन धर्म का मार्ग नहीं। महाराज ने कहा कि जो धर्म की रक्षा करते हैं, धर्म उनकी रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में यश, अपयश, हानि लाभ आते रहते हैं, लेकिन उनसे प्रभावित नहीं होना चाहिए।
भगवान भक्तों के बस में होते है: दाधिच
शिश्यंू. रायपुरा गांव में चल रही हनुमान कथा के अंतिम दिन कथावाचक पं. दिनेश दाधीच ने कहा कि भगवान तो हमेशा भक्तों के बस में होते है वहीं मानव धर्म के बारे में बताया कि सबसे बड़ा मानव धर्म होता है। यह शरीर तो नश्वर है किन्तु सत्य हमेशा अमर होता है मनुष्य को हमेशा भगवान की भक्ति करनी चाहिए। कथा के समापन पर ग्रामीणों के सहयोग से भण्डारा किया गया।

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