सीकर निवासी सांवरमल ने बताया कि यहां के क्वारेंटाइन सेंटर में नोनवेज खाना दिया जा रहा है। इस कारण ज्यादातर भारतीय भूखे ही रहे। जिन लोगों के पास थोड़े पैसे है वह राशन लेकर आ सकते हैं। लेकिन कई दिनों से काम बंद होने की वजह से पैसे भी नहीं है। ऐसे में भूखा ही रहना पड़ रहा है।
डूंगरपुर निवासी वीरप्रकाश जैन ने बताया कि नॉनवेज खाने की वजह से कई दिन परेशानी रही। उनका कहना है कि हम जिस होटल में ठहरे है वहां रसोई भी मिल गई है। लेकिन जिन लोगों को होटल में रसोई नहीं मिली और राशन के लिए पैसे भी नहीं है उनको काफी परेशानी हो रही है। जैन काफी लंबे अर्से से वहां दुकान चलाते है।
यहां फंसे भारतीय कामगारों का कहना है कि यहां लगभग एक महीने से कामकाज पूरी तरह प्रभावित है। कामगारों का कहना है कि भारतीय कामगारों की वतन वापसी के लिए सरकार को भी पहल करनी होगी।
गल्फ की जेल व थानों में भी भारतीयों को नोनवेज ही परोसा जाता है। इसको लेकर यहां के भारतीयों ने मंत्रालय को कई बार शिकायत दी है। वहां रहने वाले कामगारों का आरोप है कि कुछ दिन तो स्थिति ठीक रखती है बाद में फिर से नोनवेज परोसना शुरू कर देते है।