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3040 मिलियन घन मीटर… अब इतना ही पानी है हमारे पास

locationसीकरPublished: Oct 15, 2021 06:27:02 pm

Submitted by:

Narendra

जल संकट : जिले के जल स्तर में प्रतिवर्ष डेढ़ से दो मीटर तक आ रही गिरावट1995 में पानी का दोहन था 114 प्रतिशत, अब 163 फीसदी से ज्यादा

3040 मिलियन घन मीटर... अब इतना ही पानी है हमारे पास

3040 मिलियन घन मीटर… अब इतना ही पानी है हमारे पास

नरेंद्र शर्मा@सीकर. ‘कुएं सूखे…ट्यूबवैल खाली…नदियां गायब! शेखावाटी की धरा से पानी कम होता जा रहा। एक तो शेखावाटी का अधिकांश क्षेत्र रेतीला है और उस पर औसत से कम बारिश के कारण धरा के गर्भ में भूजल का भंडार अब कम हो चला है। जलदाय विभाग और जल संकट पर काम कर रहे लोगों की माने तो शेखावाटी में अब मात्र 3040 मिलियन घन मीटर पानी ही धरती की कोख में बचा है। यानि इस घन मीटर को लीटर में बदले, तो… करीब 30 खरब 40 अरब लीटर पानी ही हमारे पास शेष रहा है। यह चिंता और चिंतन का विषय है। चिंता इसलिए कि इसमें से प्रतिदिन 18 से 20 लाख लीटर पानी जलापूर्ति के रूप में इस समय घरों में दिया जा रहा है। यह केवल पीने, नहाने के लिए ही आपूर्ति है। सिंचाई के लिए इसी शेष पानी में से अलग से आपूर्ति की जाती है। यदि पानी के दोहन की रफ्तार यही रही, तो धरा का भूमिगत जल भंडार कब रीत जाएगा, हमें पता ही नहीं चलेगा।

पानी का गणित : 92 प्रतिशत पानी की सिंचाई में खपत
सीकर जिले का कुल क्षेत्रफल 7880 वर्ग किलोमीटर है। औसत वार्षिक बरसात 466 मिलीमीटर है। रेतीले क्षेत्रों में वार्षिक बरसात का लगभग 10 प्रतिशत व चट्टानी क्षेत्र मेे 6 प्रतिशत जल ही भूमि में जाता है। इससे लगभग 302 मिलियन घनमीटर पानी भूजल भंडारों में मिलता है। जबकि 462 मिलियन घनमीटर पानी का दोहन होता है। वर्तमान में 3040 मिलियन घन मीटर पानी का भंडार शेष है। हालांकि बारिश ज्यादा या कम के आधार पर पानी का भंडार भी कम और ज्यादा होता रहता है। पेयजल योजनाएं व सिंचाई सौ फीसदी भूजल भंडारों पर निर्भर है। सबसे अधिक पानी 92 प्रतिशत कृषि में, सात प्रतिशत पेयजल व शेष अन्य गतिविधियों में खर्च होता है। जलदाय विभाग के 467 ट्यूबवैल व 185 हैंडपम्प लगे हुए हैं। खण्डेला ब्लॉक में 48 घंटे बाद जलापूर्ति होती है।
ये है स्थिति
शेखावाटी में मुख्य रूप से दो तरह के पानी के क्षेत्र है। रेतीला क्षेत्र 6175 वर्ग किलोमीटर है। चट्टानी क्षेत्र 1087 वर्ग किलोमीटर और 93 वर्ग किलोमीटर खारे पानी का क्षेत्र है। 1995 में पानी का दोहन 114 प्रतिशत था जो अब बढक़र 163 प्रतिशत हो गया है।
ये हो रहा प्रभाव
सीकर जिले में पानी के स्तर के हिसाब से आठ ब्लॉक बनाए गए हैं। इन ब्लॉक्स में इस समय पानी के स्तर में प्रतिवर्ष डेढ़ से दो मीटर तक गिरावट आ रही है। पानी के दोहन व रिचार्ज का अंतर अधिक होने का ही नतीजा है कि इस समय अधिकांश कुएं सूखे हैं और ट्यूबवैल रीते। भूजल में कमी पानी में लवणीयता भी बढ़ा रही है, जिससे फसलों के उत्पादन पर असर होगा।
आंकड़ों का आईना
औसत वार्षिक बरसात
465 एमएम
वार्षिक जल दोहन
444.55 एमसीएम
वार्षिक जल पुनर्भरण
343.59 एमसीएम
जल का अतिदोहन
101.23 एमसीएम
भूमि जल दोहन की उपयोग दर
143.59 प्रतिशत

कृषि क्षेत्र में उपयोग
398.44 एमसीएम
(2017 की भूजल रिपोर्ट के आधार पर)
इनका कहना है…
पानी को सहेजना पड़ेगा। वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार 1.10 मीटर वाटर लेवल हर साल गिर रहा है। यही औसत चलता रहा, तो आने वाले बरसों में हमें भयंकर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
दिनेश, भूजल वैज्ञानिक, सीकर

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