जबकि खोई हुई जमीन दिलाने के लिए प्रशासन से कई बार गुहार लगाई जा चुकी है। क्योंकि बसंत विहार में जहां हमारे खुद के पांच-पांच मकान हुआ करते थे। उसे अतिक्रमण बताकर प्रशासन ने छीन लिए और बदले में रैन बसेरे का एक कमरा रहने के लिए दे दिया। जिसमें मजबूरी के कारण तीन परिवारों के करीब 30 लोगों को एक साथ रहना पड़ रहा है। बच्चे की मौत हो जाने के बाद समाज के लोगों ने भी रैन बसेरे में आने से एतराज जता दिया था। इधर, बच्चे की मौत हो जाने के बाद रैन बसेरे में कोई प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी भी मौके पर नहीं पहुंचा।
पहले भी मिले हैं जख्म
पीडि़त परिवार की महिला नशरीन ने बताया कि पुरखों की जमीन छोडकऱ यहां आने के बाद उनके पति मकसूद भी सदमे में हैं। दो साल हो गए यहां जीवन बिताते उनको दो बार हार्ट का अटैक भी आ चुका है। शर्मींदगी के कारण परिवार के सभी सदस्य एक कमरे में सो भी नहीं सकते। इसलिए कइयों को बाहर बरामदे में सोना पड़ता है। परिजनों का आरोप है कि लंबी-चौड़ी जमीन के बदले प्रशासन ने उन्हें पिपराली रोड पर प्लाट बताए हैं। जिनकी भी कीमत अदा करने की बात कही जा रही है। यहां रैन बसेरे में पानी की कमी होने के कारण वह भी पड़ौस से लाना पड़ रहा है।
-नेपाल तक पहुंचे
प्रशासन अधिग्रहण जमीन को सरकारी बता रहा है। जबकि परिवार के सदस्यों का कहना है कि राज माता त्रिलोक्य देवी ने यह जमीन उन्हें दान में थी। उनके लडक़े विक्रम ङ्क्षसह से मिलने वे लोग नेपाल भी जाकर आ चुके हैं। वहां उन्हें खुद विक्रम सिंह ने लिख कर दिया है कि जमीन उनकी मां त्रिलोक्य देवी की दी हुई है। लेकिन, प्रशासन बावजूद इसके इन कागजों को मानने के लिए तैयार नहीं है।
-दुख की इस घड़ी में हम सभी पीडि़त परिवार के साथ हैं। पीडि़त परिवार की जो मदद होगी हर संभव की जाएगी। बच्चे की मौत के कारणों का भी पता लगाया जाएगा।
जीवण खां, सभापति, नगर परिषद