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मंच पर पहुंचते ही उन्होंने अपने देरी से पहुंचने की वजह मजाकिया लहजे में जगदीश प्रसाद माथुर को ही बताया। कहा कि आज जगदीश जी के पल्ले पड़े हैं, जिनके चलते कार्यक्रम ज्यादा हो गए। यही नहीं जब सीकर की जनता उन्हें मंच से सुनने को बेताब थी, उस समय भी उन्होंने भाषण देने से इन्कार कर सबको चौंका दिया। कहा- कार्यक्रमों की व्यस्तता से सुबह से कुछ नहीं खाया है।
‘भूखे पेट भजन नहीं होत गोपालाÓ की कहावत के साथ उन्होंने कहा कि अब तो भोजन के बाद ही भाषण होगा। उनके इतना कहने के बाद उनके लिए मंच पर ही भोजन मंगाया गया। जिसके बाद उन्होंने मंच पर ही खाना खाने के बाद अपनी सभा शुरू की। बताया जाता है कि जनसंघ के दौर में वो कई बार सीकर आए। जिसमें उनकी एक सभा रामलीला मैदान में भी हुई। भाजपा निर्माण के बाद वह 1999 में ही सीकर आए।
माथुर के साथ पैदल संसद जाते थे वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सीकर से विधायक और सांसद रहे जगदीश प्रसाद माथुर के बहुत करीबी थे। वह दोनों ही दिल्ली में रहते थे। जहां से पैदल ही संसद जाया करते थे। बताया जाता है कि एकबार लंबे समय के बाद अटल बिहारी वाजपयी ने रिक्शे में संसद चलने के लिए कहा तो जगदीश माथुर को काफी आश्चर्य हुआ। पूछने पर उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि उन्हें वेतन मिल गया है।