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केन्द्र सरकार का कार्यक्रम फिर भी सीकर में लापरवाही

हर साल खुरपका मुंह पका रोग का टीकाकरण लेकिन 8000 से ज्यादा से पशुओं की हो जाती है अकाल मौतनिराश्रित और गौशालाओं में सबसे ज्यादा परेशानी

सीकरAug 10, 2019 / 11:55 am

Puran

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केन्द्र सरकार का कार्यक्रम फिर भी सीकर में लापरवाही



सीकर. पशुओं में खुरपका और मुंहपका रोग के नियंत्रण के लिए प्रदेश स्तर पर नौंवे चरण का टीकाकरण किया जाएगा लेकिन हकीकत भयावह है। इसकी बानगी है कि पशुओं में होने वाला खुरपका व मुंहपका रोग के कारण जिले में हर वर्ष पशुपालकों को अस्सी लाख रुपए का पशुपालकों को फटका लगा रहा है। जबकि केन्द्र सरकार की ओर से हर खुरपका और मुंहपका रोग के टीकाकरण पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पशुपालकों की माने तो रोग के कारण पशुपालकों को होने वाले में काम की क्षमता में कमी, गर्भपात, बांझपन जैसे अप्रत्यक्ष नुकसान को इसमें शामिल किया जाए तो यह नुकसान हर साल दो करोड़ रुपए से ज्यादा का है। हालांकि सरकार का दावा है कि प्रदेश अगले कुछ वर्षों में प्रदेश खुरपका और मुंहपका रोग से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। गौरतलब है कि आरकेवीवाई में 100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

कई जगह पिछले वर्ष रही थी वंचित
जिला स्तर पर चलने वाले प्रोग्राम के तहत पूरे जिले में टीकाकरण किया जाता है लेकिन पिछले वर्ष भी पिपराली नोडल, कोलिडा, धर्मशाला सहित कई इलाकों व गोशालाओं में टीकाकरण पूरा नहीं हो पाया था। चिकित्सकों ने बताया कि टीकाकरण के दौरान मवेशी को काबू में करने के लिए एक अतिरिक्त व्यक्ति की जरूरत है लेकिन जिले में कई अस्पताल तो ऐसे हैं जहां स्टॉफ के नाम पर एक से दो का स्टॉफ है। रही सही कसर टीकाकरण में महिला कार्मिकों का लगा देना है। दो साल पहले भी एक महिला कार्मिक पशु को काबू करते समय चोटिल हो गई थी जिसे गंभीर अवस्था में एसके अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
लक्ष्य दूर की कौड़ी
एफएमडी से निजात दिलाने के लिए विभाग भरसक प्रयास कर रहा है। इसके बावजूद महीने भर भरसक प्रयास करने के बाद भी विभाग लक्ष्य से दूर ही रहेगा। विभाग के सामने निदेशालय की ओर से दिए गए टार्गेट पूरा होना असंभव है। वजह विभाग के महज वेक्सीनेटर की कम संख्या होना है। हालांकि इस वर्ष एफएमडी के टीकाकरण का लक्ष्य जारी नहीं हुआ है लेकिन पिछले वर्षो के दौरान टीकाकरण करीब साढ़े छह लाख पशुओं का रहा है। ऐसे में 45 दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत दिए गए लक्ष्यों का पूरा हो पाना दूर की कौडी है।

नीमकाथाना व रसीदपुरा क्षेत्र में एफएमडी
जिले के नीमकाथाना व रसीदपुरा क्षेत्र में पिछले वर्षों में एफएमडी के सैंकडों मामले सामने आए हैं। वर्ष 2012 में 879 पशुओं में एफएमडी प्रकोप के फैलने की जानकारी दर्ज की गई थी इससे देखते हुए खुरपका व मुंहपका रोग से बचाने के लिए एफएमडीसीपी कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। इस समय यह कार्यक्रम 13 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों के 351 जिलों मे चल रहा है।

इनका कहना है
जिले में एफएमडीसीपी के लिए नवा चरण शुरू होने वाला है। पिछले छह लाख 27 हजार पशुओं को टीके लगाए जा चुके हैं।

डॉ. बीएल झूरिया, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग सीकर
स्टेन हर बार बदलने से एफएमडी का प्रकोप खत्म नहीं हो सकता है। जिले में सभी पशुओं का एक साथ टीकाकरण हो तो कुछ निजात मिल सकती है। गोशाला और रेवड का टीकाकरण नहीं करने से परेशानी ज्यादा हो जाती है।
डा. नरेन्द्र मेहता, सेवा निवृत्त अधिकारी पशुपालन

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