यहां चिंताजनक स्थिति: नहीं हो रही रेंडम सेम्पलिंग
कोरोना के नए वेरिएंट के फैलने की तेज रफ्तार के बीच जिले में संक्रमण रोकने की धीमी रफ्तार चिंता बढ़ा रही है। रेंडम सेम्पलिंग नहीं होने से संक्रमण के ट्रेंड का पता नहीं चल पा रहा है। जिला अस्पताल में बना नया पीआईसीयू वार्ड अभी तक अस्पताल को हैंडओवर नहीं किया जा सका है। जिससे वार्ड में न तो मरीज भर्ती हुए हैं और न ही नवनिर्मित वार्ड और उपकरणों को स्थिति को जांचा जा सका है। वहीं जिले में कोरोना वेक्सीन की शत प्रतिशत लोगों को डोज नहीं लग पा रही है। ग्रामीण अंचल में आक्सीजन कंसट्रेटर तो भिजवा दिए गए लेकिन चलाने का प्रशिक्षण कागजों में पूरा कर दिया गया। पिछले दो माह में जिस तेजी से बच्चे बीमार हुए हैं अधिकांश स्वास्थ्य केन्द्रों में तो शिशु रोग विशेषज्ञ ही नहीं हैं। तीसरी संभावित लहर में बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित होने की आशंका है।
प्रशिक्षित करने की जरूरत
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से अस्पताल में बॉयोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए ट्रेनिंग करवाई गई है उसी तर्ज पर अस्पताल में डॉक्टर, नर्स, सुरक्षाकर्मी इन सभी लोगों को कोविड की ट्रेनिंग करानी चाहिए, जिससे लहर से निपटने में आसानी होगी और चिकित्सा सेवा से जुड़े हर कर्मचारी का इस्तेमाल हो सकेगा। चिकित्सकों के अनुसार जिले की आबादी को देखते हुए पांच सौ से ज्यादा पीआईसीयू की जरूरत है। जबकि जिले में सरकारी और निजी क्षेत्र में सौ से भी कम आईसीयू बैड है जहां केवल बच्चों को भर्ती किया जा सके।
इनका कहना है
निर्माण एजेंसी को नए वार्ड को अस्पताल को जल्द ही हैंडओवर करवाने के लिए निर्देश दिए हैं। इसके अलावा अस्पताल में नए आईसीयू का निर्माण तेजी से किया जा रहा है नए आक्सीजन प्लांट को लगातार चलाया जा रहा है।
डा. महेन्द्र कुमार, अधीक्षक, एसके अस्पताल