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अफसर-नेता सब थक गए, फिर भी नहीं झुका राजस्थान का यह गांव, जानिए क्यों?

Dayal Ki Nangal SIkar : एक बार नहीं बल्कि पूरे नौ बार के प्रयासों के बावजूद सीकर जिला प्रशासन गांव दयाल की नांगल में सरपंच का चुनाव नहीं करवा पा रहा है।

सीकरJun 08, 2018 / 06:30 pm

vishwanath saini

Dayal Ki Nangal Election Boycott

Dayal Ki Nangal village Sikar Rajasthan

सीकर.

आम चुनाव 2019 और राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 का बिगुल बजने को है। भाजपा एक बार फिर से केन्द्र व राज्य में मोदी लहर को बरकरार रखने की रणनीति बनाने में जुटी है, वहीं कांग्रेस व अन्य दलों ने सता पाने के लिए अभी से पसीना बहाना शुरू कर दिया है। राजस्थान में कांग्रेस ने पीसीसी चीफ सचिन पायलट के नेतृत्व में मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम चला रखा है तो तीसरे मोर्चे के पक्षधर खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल किसान रैली के जरिए हुंकार भर रहे हैं। विधायक बेनीवाल की चौथी किसान हुंकार रैली 10 जून 2018 को सीकर जिला मुख्यालय पर प्रस्तावित है।

ये तो बात हुई बड़े चुनाव, बड़े नेताओं और बड़ी राजनीति की। आइए अब हम आपको ले चलते हैं राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना उपखण्ड के एक छोटे गांव में, जिसका नाम है दयाल की नांगल। आप सोच रहे होंगे कि चुनावों की चर्चा के बीच भला इस गांव का क्या लेना-देना? तो आप भी जान लो कि ये वो गांव है, जिसमें ‘लोकतंत्र’ तो है, मगर इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने का सबसे बड़ा जरिया चुनाव यहां दम तोड़ रहे हैं।

Dayal Ki Nangal Election Boycott

एक बार नहीं बल्कि पूरे नौ बार के प्रयासों के बावजूद सीकर जिला प्रशासन गांव दयाल की नांगल में सरपंच का चुनाव नहीं करवा पा रहा है। ऐसा नहीं है कि प्रशासन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा। प्रशासन तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है, मगर ग्रामीण यहां चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा ही नहीं ले रहे है। यही वजह है कि राजस्थान पंचायत चुनाव 2015 का यहां अब तक बहिष्कार जारी है। ना सरपंच चुना जा सका है ना ही वार्डपंच।


नौ बार बैरंग लौटा मतदान दल

 

पंचायत चुनाव 2015 से लेकर अब तक ग्राम पंचायत दयाल की नांगल में सरपंच के चुनाव करवाने के लिए मतदान दल नौ बार आ चुका है। हर बार दल को बैरंग लौटना पड़ रहा है, क्योंकि सरपंच के चुनाव के लिए यहां ना कोई पर्चा दाखिल करता है और ना ही कोई वोट डालने आता है। मतदान दल कर्मी दयाल की नांगल के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में मतदान सामग्री व नीली स्याही लिए दिनभर बैठे रहते हैं और शाम को बैरंग लौट आते हैं। नौवीं बार चुनाव करवाने के लिए मतदान दल 7 जून 2018 को दयाल की नांगल गया था।

 


प्रशासक संभाल रहा व्यवस्था

 

दयाल की नांगल ग्राम पंचायत के लोगों द्वारा चुनाव का बहिष्कार किए जाने के बाद प्रशासन ग्राम पंचायत के कामकाज को सुचारू बनाए रखने के लिए यहां प्रशासक नियुक्त कर रखा है। ग्रामीणों में ऐसी भी चर्चा है कि सीकर जिला प्रशासन दयाल की नांगल ग्राम पंचायत को फिर नीमकाथाना में जोड़े जाने की दिशा में प्रयास कर रहा है।


क्या कहते हैं ग्रामीण

 

ग्रामीणों की संघर्ष समिति का नेतृत्व महावीर चक्र विजेता रिटायर्ड फौजी दिगेन्द्र सिंह कर रहे हैं। दिगेन्द्र सिंह ने बताया कि ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन उनके गांव को पाटन पंचायत समिति से हटाकर नीमकाथाना पचायंत समिति में जोड़े तब ही गांव में चुनाव होंगे। नहीं तो भविष्य में ग्रामीणों का गांव में चुनाव का बहिष्कार जारी रहेगा।

यह है समस्या

 

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में पंचायतों के पुनर्गठन के दौरान दयाल की नांगल ग्राम पंचायत को नीमकाथाना पंचायत समिति से हटाकर नवगठित पंचायत समिति पाटन के अधीन कर दिया गया था। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि उनका उपखण्ड नीमकाथाना ही रखा जाना चाहिए।

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