नहीं रहे आजादी के सिपाही सद्दीक ‘भारतीय’, इन्होंने लड़ी थी 1947 की लड़ाई
स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार रहे शहर के सद्दीक भारतीय का रविवार को निधन हो गया। 91 वर्षीय भारतीय महज 15 साल की उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। उसके बाद से प्रजामंडल की लड़ाई व जागीरदारों से संघर्ष करते रहे।
स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार रहे शहर के सद्दीक भारतीय का रविवार को निधन हो गया। 91 वर्षीय भारतीय महज 15 साल की उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। उसके बाद से प्रजामंडल की लड़ाई व जागीरदारों से संघर्ष करते रहे। 1926 में जन्मे सद्दीक भारतीय 1941 में समाज सेवा व आजादी के जन जागृति अभियान से जुड़ गए। 1942 भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर खादी पहनना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रजामंडल के विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रहे। मैलासी के जागीरदार आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई। कई बार जेल भी किए। सेठ जमनालाल बजाज, सोहनलाल दुगड़, रामदेव सिंह महरिया, किशन सिंह बाटड़ व बद्रीनारायण सोढाणी सहित कई नेताओं के साथ सक्रिय भागीदारी निभाई। सद्दीक अहमद ने देश के बंटवारे के समय खुद का नाम बदलकर सद्दीक भारतीय रख लिया था। 1947 में बंटवारे के वक्त दंगे हुए तो उन्हें गहरा आघात लगा और खुद के पूरे परिवार के नाम के आगे ही भारतीय लगा लिया। अब उनके परिवार में 5 बेटियां व एक बेटा है। दो पोते व एक पोती है। इन सबके नाम के आगे भी भारतीय लगता है।