एसके अस्पताल में विरोध जताकर रखी कठोर कानून की मांग
शहर में चिकित्सकों ने एसके अस्पताल में विरोध प्रदर्शन किया। जहां काली पट्टी बांधकर हाथ में बैनर लिए चिकित्सकों ने नारेबाजी करते हुए राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाया। इस दौरान आईएमए सचिव डा. पीसी गर्ग ने कहा कि कोरोना महामारी में चिकित्सकों ने खुद की जान जोखिम में डालकर दिन रात मरीजों की सेवा की। एक हजार से ज्यादा चिकित्सकों ने अपनी जान भी गवाई। इसके बावजूद उन्हें हिंसा व तोडफ़ोड़ जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। जो देश में सख्त कानून की कमी की वजह से हो रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए कठोर कानून बनाना चाहिए। उन्होंने मांग नहीं मानने पर आंदोलन को तेज करने की चेतावनी भी दी। प्रदर्शन में आईएमए अध्यक्ष डा. एनएम गोयल सहित काफी संख्या में चिकित्सक शामिल रहे।
10 वर्ष की हो जेल
आईएमए ने चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा के दोषियों के लिए कम से कम 10 साल की सजा व जुर्माने, तोडफ़ोड़ के कारण हुई हानि की वसूली का सख्त प्रावधान करने, भयमुक्त माहौल में उपचार के लिए अस्पतालों में सुरक्षा के लिए उचित मापदंड कानून के तहत तय करने की मांग रखी है। ऐलोपैथी चिकित्सकों पर टिप्पणी करने पर उन्होंने बाबा रामदेव के खिलाफ एपिडेमिक डिजीज एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग भी रखी।
काली पट्टी बांध जताया विरोध
श्रीमाधोपुर/अजीतगढ. श्रीमाधोपुर कस्बे के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी अरिस्दा के प्रदेश व्यापी आव्हान पर चिकित्सकों ने गांधीवादी तरीके से हाथों में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। मुख्य द्वार पर चिकित्सा प्रभारी डॉ राजेश मंगावा के नेतृत्व में सरकार से हिंसा रोकने के लिए सख्त कानून बनाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। इसी तरह अजीतगढ़ के बाबा नारायण दास राजकीय सामान्य चिकित्सालय समेत पंचायत के गांवो में स्थित सरकारी अस्पताल में भी चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा का विरोध किया। अजीतगढ़ में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एसडी रायपुरिया की अगुआई में प्रदर्शन किया गया।