मिलावट के लिए सख्त कानून नहीं होने से मिलावटियों का काम जोरों पर हैं। मिलावट करने वाले घटिया उत्पाद व सामग्री डालकर पैंकिग कर बाजार में भेज देते हैं। बीज का अंकुरण व बढ़वार नहीं होने पर किसान जब इस संबंध में शिकायत करता है तो बीज निर्माता बुवाई के लिए आदर्श तापमान व तरीका सही नहीं होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है। मामले के तूल पकडऩे पर विभाग तीन नमूने लेकर विक्रेता के खिलाफ इस्तगासा दायर कर देता है।
विभाग की ओर से नोटिस में नमूने के संबंध में बैच नम्बर लिखे जाते हैं। इस बैच नंबर के आधार पर ही मिलावट करने वाले नमूने की जांच करने वाले लैब का पता लगा लेते हैं और नमूने को पास करवा लेते हैं। कई बार जांच में मिलावट पाए जाने पर संबंधित विक्रेता नाममात्र का शुल्क देकर पूर्व में लिए गए नमूने की जांच से संतुष्ट नहीं होने का हवाला देकर पुन जांच का आवेदन कर देता है। ऐसे में दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है।
बीज, उर्वरक व कीटनाशी में मिलावट मिलने पर बीज नियंत्रण आदेश व आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। लक्ष्य के आधार पर निरीक्षक खाद- बीज की दुकानों पर जाकर नमूने लेते और आवश्यक होने पर प्रकरण दर्ज कर आगामी कार्रवाई की जाती है। पॉश मशीन के जरिए ही खरीदने पर संबंधित दोषी की जिम्मेदारी तय हो जाती है। इससे मिलावट पर भी रोकथाम लग जाएगी।