ये है मामला
कस्बे के वार्ड 24 में रहने वाली बुजुर्ग रामप्यारी देवी की मानसिक विक्षिप्त बेटी गीता का ससुराल चूरू जिले के बागास गांव में है। लेकिन वह अधिकतर अपनी मां के पास लक्ष्मणगढ़ ही रहती थी। चार साल पहले ससुराल से वह अपनी मां के पास लक्ष्मणगढ़ आई हुई थी। इस बीच एक दिन मां के साथ फतेहपुर जाने के लिये गीता बस स्टैण्ड गई लेकिन गफलत के कारण गलत बस में बैठ गई और उसके बाद से उसका कुछ पता नहीं चला। इस संबंध में लक्ष्मणगढ़ पुलिस थाने में गुमशुदगी भी दर्ज करवाई गई थी। लेकिन, काफी कोशिशों के बाद भी वह नहीं मिली। बेटी की तलाश में बूढ़ी मां के पांव थक और रो-रो कर आंसू सूख चुके थे। सारी उम्मीदें भी नाउम्मीदी में बदल चुकी थी। लेकिन, इसी बीच सोशल मीडियो की एक पोस्ट ने दोनों मां बेटी को चार साल बाद फिर मिलवा दिया।
यूं मिले मां- बेटी
रास्ता भटक कर गीता पहले बीकानेर तथा बाद में भरतपुर पहुंच गई। भरतपुर में लावारिस लोगों के लिए एक एनजीओ द्वारा संचालित संस्था अपना घर में रहने लगी। इस बीच एक दिन संस्था के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट पर गीता की फोटो देखकर मुम्बई में रहने वाली रामप्यारी की पोती रोशनी ने अपनी बुआ गीता को पहचान लिया। उसने मुंबई से अपने वार्ड पार्षद अमित जोशी को फोन कर सारी जानकारी दी। पार्षद जोशी ने स्थानीय पुलिस थाने में इसकी सूचना दी तथा गुमशुदगी रिपोर्ट की प्रति लेकर रामप्यारी को साथ लेकर भरतपुर रवाना हो गए। भरतपुर में अपना घर संस्था पहुंचकर जोशी ने संचालकों को सारी बात बताई। जिसके बाद मां व बेटी का वो मिलन हुआ, जो यादगार के साथ द्रवित कर देने वाला था। औपचारिकताओं के बाद गीता को इसके बाद फिर लक्ष्मणगढ़ ले आया गया।