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सीकर

बाल दिवस विशेष: चार साल की उम्र से गेंदबाजों के छक्के छुड़ा रहा सुमित, दिल छू रहे नेत्रहीन मोहित के सुर

Children’s Day Special : बालमन यूं तो मासूमियत से भरा होता है, लेकिन कुछ बालपन अनूठी प्रतिभाओं से भरपूर होते है।

सीकरNov 14, 2019 / 11:58 am

Sachin

बाल दिवस विशेष: चार साल की उम्र से गेंदबाजों के छक्के छुड़ा रहा सुमित, दिल छू रहे नेत्रहीन मोहित के सुर

बाल दिवस विशेष: चार साल की उम्र से गेंदबाजों के छक्के छुड़ा रहा सुमित, दिल छू रहे नेत्रहीन मोहित के सुर

सीकर. Children’s Day Special : बालमन यूं तो मासूमियत से भरा होता है, लेकिन कुछ बालपन अनूठी प्रतिभाओं से भरपूर होते है। यह प्रतिभा बच्चों को जहां चाइल्ड आइकन बनाती है, वहीं समाज में भी अलग पहचान दिलाती है। बाल दिवस पर ऐसी ही कुछ अनूठी बाल प्रतिभाओं से हम आपको रूबरू करवा रहे हैं, जो गीत- संगीत से लेकर खेल और शिक्षा से लेकर संस्कारों तक में नजीर बन चुके हैं।9 साल का सुमित अपने से बड़े खिलाडिय़ों को सिखाता है क्रिकेट सीकर का राधाकिशनपुरा निवासी सुमित सैनी चार साल की उम्र से क्रिकेट का दीवाना है। उसकी क्रिकेट की दीवानगी को देखते हुए ऑटो चालक पिता ओमप्रकाश सैनी एक बार उसे आरआर एकेडमी लेकर गए, तो वह वहीं रहने के लिए मचलने लगा। उसकी लगन देख एकेडमी संचालक संदीप सैनी ने परिवार की आर्थिक स्थिति देखते हुए उसे निशुल्क प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। तब से वह न केवल लगातार क्रिकेट खेल रहा है। बल्कि, महज 9 साल की उम्र में बड़े बड़े बॉलर के छक्के छुड़ा रहा है। सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाला सुमित स्कूल से लौटते ही एकेडमी पहुंच जाता है और करीब चार घंटे नेट प्रेक्टिस करता है। कोच संदीप ने बताया कि सबसे छोटी उम्र का सुमित एकेडमी का सीनियर प्लेयर है। जो उम्र में अपने से बड़े खिलाडिय़ों को भी गाइड करता है। कम उम्र की वजह से अभी तक वह बड़ी प्रतियोगिताओं का हिस्सा तो नहीं बन पाया है। लेकिन, स्थानीय प्रतियोगिताओं में उसका प्रदर्शन लाजवाब रहा है। पूजा बनी पहली महिला अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ीसांवलोदा लाडखानी की पूजा कंवर जिले में संघर्ष से शिखर पर पहुंचने की मिसाल बन चुकी है। गांव के साधारण किसान सुरेन्द्र सिंह के परिवार में जन्मी पूजा कंवर ने राजकीय माध्यमिक स्कूल में हेंडबॉल खेलना शुरू किया था। जो स्थानीय स्तर की प्रतियोगिताओं में लगातार उम्दा प्रदर्शन करने लगी थी। लेकिन, परिवार की कमजोर आर्थिक स्थित उसे आगे बढऩे से रोकने लगी। मगर, मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा पाले पूजा ने विपरीत हालातों में भी पढ़ाई और खेल के प्रति समर्पण जारी रखा। भामाशाहों का थोड़ा सहयोग मिला और वह राज्य, राष्ट्रीय और फिर अन्तर्राष्ट्रीय टीम में शामिल हो क्षेत्र की पहली महिला हेंडबॉल खिलाड़ी बन गई। अपनी प्रतिभा से चार- चार बार जिला व राज्य और दो बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी पूजा इसी साल अगस्त महीने में आठवीं एशियन महिला अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। 2017 व 2018 में पूजा कंवर का लगातार दो बार राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ था। 63 व 64वीं राज्य स्तरीय स्कूल प्रतियोगिता में लगातार स्वर्ण पदक हासिल कर चुकी पूजा राजस्थान राज्य क्रीडा परिषद में चयनित होकर आगे की तैयारी में जुटी है। स्कूल के शारीरिक शिक्षक भंवर सिंह ने बताया कि 12वीं कक्षा की छात्रा पूजा शुरू से ही प्रतिभा की धनी रही है। स्कूल में जितना ध्यान उसका पढ़ाई पर था उतना ही खेल में रहा है। दिल की गहराईयों को छूती है मोहित की गायकीकुछ कर गुजरने की चाह हो तो कुदरती कमी भी कामयाबी में रोडा नहीं बन सकती। यह साबित कर दिखाया है सीकर के पिपराली रोड निवासी 12 वर्षीय मोहित शर्मा ने। जो बचपन से नेत्रहीन है, लेकिन उसका गला इतना सुरीला है कि उसकी गायकी सीधे दिल की गहराईयों को छूती है। पिता राकेश ने भी उसकी प्रतिभा को पहचानकर पढ़ाई के साथ उसे जयपुर के सवाई मानसिंह संगीत महाविद्यालय में संगीत सिखाया। आज राग भैरवी हो या राग मल्हार, लोक गीत हो या गजल, सबमें पारंगत मोहित शहर की हर गीत-संगीत की महफिल की शान होता है। एसके स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ ही दसवीं कक्षा में पढ़ रहा मोहित दिव्यांगों की कई खेल प्रतियोगिताओं को भी जीत चुका है।

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