scriptVIDEO. घरों में पूजी जा रही गणगौर, गलियों में गूंजे रहे गीत | Gangaur being worshiped in homes, royal ride will not come out | Patrika News
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VIDEO. घरों में पूजी जा रही गणगौर, गलियों में गूंजे रहे गीत

गणगौर का परंपरागत पर्व गुरुवार को आस्था व उल्लास से मनाया जा रहा है। घर घर में युवतियां व विवाहिताएं गणगौर माता की कथा- पूजा कर रही है।

सीकरApr 15, 2021 / 12:28 pm

Sachin

VIDEO. घरों में हो रही गणगौर की पूजा, गलियों में गूंजे रहे गीत

VIDEO. घरों में हो रही गणगौर की पूजा, गलियों में गूंजे रहे गीत

सीकर. गणगौर का परंपरागत पर्व गुरुवार को आस्था व उल्लास से मनाया जा रहा है। घर घर में युवतियां व विवाहिताएं गणगौर माता की कथा- पूजा कर रही है। जहां- तहां गलियों में भी सुबह से गणगौर के गीत गूंजते सुनाई दे रहे हैं। त्योहार केा हर ओर जबरदस्त उत्साह है। हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार भी गणगौर की शाही शोभायात्रा नहीं निकलने की मायूसी महिलाओं में जरूर है।

333 साल में दूसरी बार नहीं निकलेगी यात्रा
कोरोना के बढ़ते कहर के बीच सीकर शहर में इस बार भी गणगौर की शाही सवारी नहीं निकलेगी। सीकर के इतिहास के 333 साल में दूसरी बार ऐसा होगा। पिछले वर्ष भी कोरोना संक्रमण के चलते गणगौर की सवारी नहीं निकाली गई थी। सरकार व प्रशासन ने भी महिलाओं से घर में ही गणगौर माता के भोग लगाकर पूजा अर्चना करने का आग्रह किया गया है। गाइड लाइन के चलते गणगौर पर शहर में कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होगा।

रघुनाथजी के मंदिर में होगी गणगौर की पूजा
कोरोना के चलते इस बार भी गणगौर की पूजा अर्चना रघुनाथजी के मंदिर में की जाएगी। यहां पर भी आम श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा। सांस्कृतिक मंडल के जानकी प्रसाद इंदोरिया ने बताया कि राजपरिवार की ओर से शुरू किए गए इस मेले का आयोजन 55 वर्ष से सांस्कृतिक मंडल कर रहा है। पिछले वर्ष की तरह जन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इस बार भी मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा है।

गणगौर व्रत पूजन विधि
पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि गणगौर शिव पार्वती की पूजन का पर्व है। शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र व सुहाग की वस्तुएं अर्पित की जाती है। चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब व पुष्प से पूजा करने के बाद एक बड़ी थाली में चांदी का छल्ला और सुपारी रखकर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार किया जाता है। दोनों हाथों में दूब लेकर इस जल से गणगौर को छींटे लगाकर फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कती है। अंत में भोग लगाकर गणगौर माता की कहानी सुनी जाती है। गणगौर महिलाओं का त्यौहार माना जाता है। इसलिए गणगौर पर चढ़ाया हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता। जो सिन्दूर माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, महिलाएं उसे अपनी मांग में भरती है। यह आस्था प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है। गण (शिव) तथा गौर (पार्वती) के इस पर्व में युवतियां मनपसंद वर पाने की कामना करती है। वहीं विवाहित महिलाए पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।

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