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जर्मन होम्योपैथी दवाई और अब जर्मन सेग्रीगेशन प्लांट… जानिए देश में क्या करेगा यह धांसू प्लांट

जर्मन सेग्रीगेशन प्लांट। यह धांसू प्लांट शहर के कचरे को लगा देगा आराम से ठिकाना। बस इंतजार है कुछ दिनों का।

सीकरJan 25, 2020 / 05:40 pm

Gaurav

जर्मन होम्योपैथी दवाई और अब जर्मन सेग्रीगेशन प्लांट... जानिए देश में क्या करेगा यह धांसू प्लांट

जर्मन होम्योपैथी दवाई और अब जर्मन सेग्रीगेशन प्लांट… जानिए देश में क्या करेगा यह धांसू प्लांट

सीकर. जर्मन सेग्रीगेशन प्लांट। यह धांसू प्लांट शहर के कचरे को लगा देगा आराम से ठिकाना। बस इंतजार है कुछ दिनों का।

दरअसल, कचरा निस्तारण की गंभीर होती समस्या के समाधान की तरफ नगर परिषद ने कदम बढ़ा दिए हैं। परिषद जल्द ही सीकर में सेग्रीगेशन प्लांट लगाने जा रही है। इसकी कार्य योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है। अगले सप्ताह विज्ञप्ति जारी कर दी जाएगी। परिषद के अधिकारियों का दावा है कि अगले तीन माह में यह प्लांट शुरू कर दिया जाएगा। प्रथम चरण में डोर-टू-डोर संग्रहण में एकत्र कचरे का सेग्रीगेशन किया जाएगा। इसके अलावा कचरा निस्तारण के लिए एमआरएफ प्लांट लगाने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। इसके लिए जर्मनी से मशीन लाने का प्रयास किया जा रहा है।

गीले कचरे से बनेगी खाद
गीले कचरे के निस्तारण के लिए कम्पोस्ट प्लांट लगाया जाएगा। कचरे से निकलने वाले सड़े गले भोजन, बाग-बगीचे के कचरे सहित अन्य सामग्री जो दोबारा उपयोग में नहीं लाई जा सकती उससे जैविक खाद तैयार की जाएगी।
गीला-सूखा और प्लास्टिक कचरा होगा अलग
नानी गांव में लगने वाले इस प्लांट से गीला-सूखा और प्लास्टिक कचरा अलग किया जाएगा। प्लांट पर करीब 90 लाख रुपए की लागत आएगी। मशीन के साथ सफाईकर्मियों की टीम का भी इस कार्य में उपयोग किया जाएगा। कचरे को रिसाइकिल करने के बाद दबाव बनाकर प्लास्टिक कचरे की सिल्लियां बनाई जाएगी।

पत्रिका अभियान का असर
सीकर शहर में हर दिन औसत डेढ़ सौ टन कचरा एकत्र होता है। नगर परिषद के पास वर्तमान में कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं होने से यह कचरा नानी के बीड़ में डाला जा रहा है। ऐसे में वहां करीब पांच किलोमीटर क्षेत्र में कचरे के ढ़ेर लग गए हैं। पत्रिका ने समाचार अभियान शुरू किया। नगर परिषद ने कचरे के निस्तारण के लिए प्लांट की योजना पर फिर कार्य शुरू किया है।
कचरे के निस्तारण के लिए सेग्रीगेशन प्लांट लगाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। तीन माह में यह प्लांट कार्य करने लगेगा,जिससे बड़ी समस्या का समाधान होगा। प्लांट के लिए मशीन खरीदने के लिए अगले सप्ताह में निंविदा निकाली जाएगी। इसके अलावा एमआरएफ प्लांट के लिए जर्मन से मशीन खरीदने का प्रयास किया जा रहा है।
श्रवण कुमार विश्नोई, आयुक्त, नगर परिषद सीकर

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